जानवरों पर प्रयोगों को वैकल्पिक तकनीकों से बदलने की जरूरत हैः डा. अनिल मंधानी

एमडीयू में एनिमल एक्पेरिमेंटशन पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ।

जानवरों पर प्रयोगों को वैकल्पिक तकनीकों से बदलने की जरूरत हैः डा. अनिल मंधानी

रोहतक, गिरीश सैनी। एमडीयू के सेंट्रल एनिमल हाउस के तत्वावधान में आयोजित - एथिक्स एंड नेसेसिटी ऑफ लैबोरेट्री एनिमल एक्पेरिमेंटशन विषय पर राष्ट्रीय संगोष्ठी का शुभारंभ बतौर मुख्यातिथि फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर डा. अनिल मंधानी किया। कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने इस संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र की अध्यक्षता की।

मुख्य अतिथि डा. अनिल मंधानी ने कहा कि नई दवाएं विकसित करने तथा अन्य उत्पादों की सुरक्षा का परीक्षण करने के लिए पशुओं पर प्रयोग करते हुए नैतिकता का ख्याल रखा जाए। पशु प्रयोगों को यथासंभव मानवीय बनाया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि जानवरों पर प्रयोगों को वैकल्पिक तकनीकों से बदलने की जरूरत है। संपूर्ण जानवर की बजाए कोशिका संवर्धन का प्रयोग, कंप्यूटर मॉडल उपयोग पर बल देने की बात उन्होंने रखी।

 

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अध्यक्षीय संबोधन में कहा कि रिसर्च में एनिमल एक्सपेरिमेंट के दौरान उनके दर्द और कष्ट को कम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि प्रयोग करते समय जानवरों की दर्द और पीड़ा को कम करना एक नैतिक आवश्यकता है।

 

आईजीआईबी, नई दिल्ली के डा. विजय पाल सिंह, जेएनयू, नई दिल्ली के डा. दिनेश के यादव, आईबीएलएस, नई दिल्ली की डा. अनुपमा पराशर, एनबीआरसी, मानेसर के डा. इंद्रजीत यादव ने बतौर रिसोर्स पर्सन्स इस संगोष्ठी में संबोधन किया और प्रयोगों में जानवरों के उपयोग एवं नैतिकता से जुड़े विभिन्न पहलुओं बारे विस्तार से बतया। इस राष्ट्रीय संगोष्ठी के को-कंवीनर प्रो. अनिल कुमार छिल्लर ने सेमिनार की रूपरेखा पर प्रकाश डाला।

 

संगोष्ठी की कन्वीनर डीन, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज प्रो. राजेश धनखड़ ने फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज में संचालित पाठ्यक्रमों, शोध गतिविधियों, उपलब्ध शोध सुविधाओं बारे जानकारी दी। उन्होंने एनिमल एथिक्स के महत्व बारे जानकारी दी। आयोजन सचिव डॉ. हरि मोहन ने कार्यक्रम का समन्वयन किया। उद्घाटन सत्र में प्रो. गोविंद सिंह ने तथा समापन सत्र में डा. सुधीर के कटारिया ने आभार जताया। डा. ऋतु पसरीजा ने मंच संचालन किया।

इस दौरान डीन, आर एंड डी प्रो. अरुण नंदा, डीन फार्मास्यूटिकल साइंसेज प्रो. हरीश दुरेजा, फैकल्टी ऑफ लाइफ साइंसेज के विभागों समेत अन्य विभागाध्यक्ष, प्राध्यापक, शोधार्थी-विद्यार्थी और एनिमल एथिकल समिति के सदस्य मौजूद रहे। राधाकृष्णन फाउंडेशन फंड द्वारा प्रायोजित यह राष्ट्रीय संगोष्ठी आईएचटीएम कांफ्रेंस हॉल में आयोजित की गई।