सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती और सपने पूरे करने ही चाहिएं: दीप्ति कुमार
-कमलेश भारतीय
इंसान के सपने पूरे होने की कोई उम्र नहीं होती और सपने पूरे होने ही चाहिएं । यह कहना है नृत्यांगना व अभिनेत्री दीप्ति कुमार का । जो हरियाणा के गुरुग्राम में रहती हैं जबकि उनका जन्म, पढ़ाई लिखाई दिल्ली में हुई । मूलतः दिल्ली निवासी दयाल सरूप सचदेव व सुनीति सचदेव की बेटी दीप्ति ने हंसराज काॅलेज से गणित ऑनर्स से ग्रेजुएशन की । उसके बाद टाइम्स स्कूल ओफ़ मार्केटिंग से मार्केटिंग में एमबीए और अब फेलेसिटी थियेटर से अभिनय की बारीकियां सीख रही हैं । टाइम्स ऑफ इंडिया में सात साल मार्केटिंग में जाॅब भी की ।
-थियेटर का शौक कब से ?
-वैसे तो बचपन से ही । टी वी देखकर लगता थे कि डांस या एक्टिंग करनी है । पर हमारे परिवार में इंजीनियर्स या डाक्टर्स थे तो मेरी कौन सुनता ?
-फिर कैसे आ पाईं थियेटर में ?
-चार साल पहले । श्रीराम सेंटर में एक साल कोरियोग्राफर रही और वहीं लगा कि एक्टिंग करनी चाहिए मुझे । यही नहीं कलर्स के ‘डांस दीवाने’ शो में दिल्ली तक के राउंड में रही । बहुत संघर्ष था इस शो में । सन् 2018 में अतुल कुल्कर्नी की फिल्म 'अन्य' में रोल मिला जो कोरोना के चलते अभी रिलीज नहीं हो पाई ।
-आगे ?
-सन् 2019 में रास थियेटर से जुड़ी और इनके संचालक गजराज के निर्देशन में आठ नाटक किये जिनमें ताजमहल का टेंडर और बाबुल राजा मुख्य हैं । फिर राहुल भुच्चर की संस्था फेलेसिटी थियेटर से भी जुड़ गयी ।
-फेलेसिटी थियेटर में क्या क्या किया ?
-पहले वर्कशॉप में तड़ीपार नाटक में काम किया । फिर कॉमडी नाटक ‘रॉंग नम्बर’ में राकेश बेदी जी के साथ एक बड़ा रोल निभाया । फिर महाभारत में धरती का रोल किया जो एक प्रकार से नैरेटर है कहानी की ।
-कुछ और काम भी किये ?
-जी । डी डी मेट्रो में करियर बातें कार्यक्रम की एंकरिंग की । डिटाॅल सोप की एड की । इनके अतिरिक्त मेनकाइंड फार्मेसी व काम्या सोप की एड की ।
-लक्ष्य क्या ?
-अभिनेत्री ही बनना चाहती हूं और बनूंगी । सपने पूरे करने की कोई उम्र नहीं होती । इंसान को अपने सपने पूरे करने चाहिएं ।
हमारी शुभकामनाएं दीप्ति कुमार को ।