राज्यसभा चुनाव का कोई रोमांच नहीं

राज्यसभा चुनाव का कोई रोमांच नहीं

-*कमलेश भारतीय
हरियाणा में लोकसभा चुनाव के बाद रोहतक से सांसद चुने जाने पर कांग्रेस के दीपेंद्र हुड्डा ने राजयसभा सीट से इस्तीफा दे दिया। यह सीट दीपेंद्र निर्विरोध जीते थे लेकिन वे सक्रिय राजनीति करने वाले खिलाड़ी हैं तो लोकसभा चुनाव लड़े और जीतते ही राज्यसभा से इस्तीफा दे दिया, जिससे राज्यसभा सीट खाली हो गयी । इस सीट पर कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल हुए कुलदीप बिश्नोई और किरण चौधरी की नज़रें थीं । किरण चौधरी अभी इसी साल 18 जून को भाजपा मे अपनी बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी के साथ शामिल हुई हैं । ऐसी चर्चा है कि किरण चौधरी को भाजपा राज्यसभा की प्रत्याशी बना कर नवाज सकती है जबकि कुलदीप बिश्नोई को विधानसभा चुनाव के टिकट वितरण की भारी व महत्त्वपूर्ण जिम्मेदारी देकर संतुष्ट करने की कोशिश की गयी है । 
अब विपक्षी दल कांग्रेस राज्यसभा चुनाव लड़ने से इंकार कर चुका है । यदि कोई दूसरा प्रत्याशी नहीं आता तो किरण चौधरी भी दीपेंद्र की तरह निर्विरोध चुनी जायेंगीं । यदि यही सब कुछ होने वाला है तो राज्यसभा चुनाव में कोई रोमांच नहीं होने वाला । एकदम नीरस चुनाव । न किसी जादुई कलम का चमत्कार होगा और न ही वोट किसने जानबूझकर खराब की, इसकी चर्चा सामने आयेगी । जब मीडिया मुगल सुभाष चंद्रा राज्यसभा में चुने गये थे तब भी कांग्रेस आराम से चुनाव जीत सकती थी और जब कार्तिकेय शर्मा चुनाव जीते तब भी जादुई आंकड़ा कांग्रेस के पास था लेकिन कुलदीप बिश्नोई ने विद्रोह कर दिया और फिर भी कांग्रेस जीत जाती लेकिन एक और वोट खारिज हो जाने से कांग्रेस राज्यसभा सीट से वंचित रह गयी । इसके बाद से किरण चौधरी पर शक की सुई घूमती रही और किरण चौधरी कहती रहीं कि पहली बार वोट नहीं डाला जो गलती करूं लेकिन शक और वहम का इलाज तो कहते हैं कि हकीम लुकमान के पास भी नहीं और इसी शक व बढ़ती गुटबाजी से तंग आकर जब श्रुति को लोकसभा टिकट भी नहीं मिली तो किरण चौधरी ने बेटी समेत कांग्रेस को अलविदा कह दिया ! 
अब कांग्रेस राज्यसभा चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुकी है लेकिन पूर्व उपमुख्यमंत्री व जजपा नेता दुष्यंत चौटाला को बहुत दुख है कि हमारे विधायक तोड़ने के बावजूद कांग्रेस राज्यसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ रही । उन्होंने विपक्ष की भूमिका पर भी सवाल उठाये हैं कि नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा न इधर के हैं, न उधर के हैं । विपक्ष को उम्मीदवार जरूर खड़ा करना चाहिए । यह दर्द है दुष्यंत का कि कांग्रेस हमारे विधायक भी ले गयी और चुनाव भी नहीं लड़ रही । इस तरह निर्विरोध राज्यसभा के लिए चुने जाने की किरण चौधरी की संभावनायें बढ़ गयी हैं लेकिन मज़ेदार बात कि हरियाणा विधानसभा से दलबदल के आरोप में अभी तक उनकी सदस्यता खारिज नहीं की गयी है । यह कैसा जादू है मितवा? इस पर कौन ज्ञान दे सकता है? 
यह आंकड़ों का खेल है मितवा
कभी कलम का खेल है मितवा 
कभी वोट खारिज है मितवा 
अब दलबदल का इनाम है, मितवा!! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी