समाचार विश्लेषण/कुछ खबर है कोरोना की...?
-कमलेश भारतीय
कोरोना से पूरे एक साल लड़कर हमने थोड़ी निजात पाई थी कि कोरोना ने एकाएक फिर सिर उठा लिया । वही दृश्य , वही मंजर फिर सामने आने लगे । लाॅकडाउन लागू करना पड़ा कुछ राज्यों में , चाहे रात का ही हो जबकि सोशल मीडिया में इसका भी मज़ाक उड़ाते गया कि रात को कोरोना सैर पर निकलता है । यह मज़ाक क्यों ? इसे गंभीरता से लेने की जरूरत है । खासतौर पर पंजाब और महाराष्ट्र में कोरोना दूसरी पारी में भी उतना ही जोरदार फैल रहा है ।रोज़ आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं कोरोना पाॅजिटिव मरीजों के । हालांकि वैक्सीन आने और लगाने के जोश में हम भूल गये कि अभी मास्क लगाना जरूरी है पर हमने मास्क को उतार फेंका । चालान कटने बंद हो गये । कोरोना के चलते प्रवासी मजदूर फिर अपने देस लौटने को मजबूर हो रहे हैं और अर्थ व्यवस्था फिर चरमरायेगी । काम धंधे मंदे पड़ जायेंगे या कुछ समय के लिए ठप्प हो जायेंगे । बेरोजगारी पांव पसारेगी । अब न ताली बजाने की जरूरत न थाली बजाने का कोई काम । प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी कह रहे है कि बस ध्यान रखिए अपना अपना । वैक्सीन गांव गांव , शहर शहर सब जगह फैल रहा है । चिंता तो दिखाई देती है लेकिन एहतियात नहीं । मास्क लगे चेहरे दिखाई नहीं देते । यही सबसे बड़ी भूल है । राजनीतिक दल पूरी धज्जियां उड़ा रहे हैं सोशल डिस्टेंसिंग की । इसीलिए चुटकुला बना कि कोरोना अभी एक साल का बच्चा है , भीड़ भाड़ में जाने से डरता है । इसलिए राजनीतिक सभाओं से दूर रहता है । राजनीतिक सभायें पूरी धज्जियां उड़ा कर की जा रही हैं । हालांकि एक कार में अकेले चलने पर भी मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया है । कोरोना को लापरवाही बहुत पसंद है और लापरवाह लोगों पर ही यह अपना प्रेम प्रदर्शित करता है । इसका मतलब साफ है कि लापरवाही जम कर हो रही है जो आंकड़े बढ़ते जा रहे हैं । बहुत से काॅर्टून भी समझाते हैं कि धरती पर हमारा काम न बढ़ाइए , यह यमराज कह रहा है और मास्क लगाने की प्रेरणा दे रहा है । अब फिर से सोनू सूद का का भी शुरू हो गया है । वैसे महाराष्ट्र सरकार को तो वसूली ने ही मार लिया है । उसे कोरोना की बजाय महावसूली से परेशानी हो रही है और प्रकाश जावड़ेकर इसे महावसूली अघाड़ी यानी महागठबंधन बताने लगे हैं । कभी सौ करोड़ की बात आती है तो कभी दो करोड़ रुपये की । भाजपा अध्यक्ष चंद्रकांत पाटिल का दावा है कि महाराष्ट्र की गठबंधन सरकार के दो और मंत्री इस्तीफे देंगे अगले कुछ ही दिनों में । अब देखिए महाराष्ट्र सरकार कितने तूफान झेल पायेगी ?
यह लड़ाई है
दीये की और तूफान की
ये महावसूली की ?