डेढ़ माह से प्रदर्शनरत सुपवा प्राध्यापकों को अब तक कोई राहत नहीं
रोहतक, गिरीश सैनी। पीएलसी सुपवा के शिक्षक अपने यूजीसी वेतनमान, 7वें सीपीसी और पदोन्नति के मूल भूत हकों के लिए पिछले डेढ़ महीने से शैक्षणिक कार्यों को बिना बाधा पहुँचाए शांतिपूर्ण विमर्श प्रदर्शन कर रहे हैं। शिक्षकों ने विवि प्रशासन के दावों का खंडन करते हुए कहा कि अभी तक एक भी शिक्षक को सातवां वेतन आयोग नहीं मिला है। शिक्षक संघ के प्रधान इंद्रनील घोष ने कहा कि प्रशासन ने अगर अपने चहेतों को सातवें वेतन आयोग के लाभ दे दिए है तो अलग बात है। पिछले नौ महीने से निदेशालय से आए यूजीसी सीपीसी वेतनमान संबंधी पत्र के आदेश की अवहेलना विवि प्रशासन कर रहा है।
शिक्षकों ने सवाल उठाया कि फ़ाइलों की यह कौन सी जांच है कि जो पिछले 12 वर्षों से भी प्रशासन नहीं कर पा रहा। विवि प्रशासन के आरोप का खंडन करते हुए शिक्षक संघ ने कहा कि सभी प्राध्यापक शैक्षणिक योग्यता लिए हुए हैं और नियमों के तहत नियुक्त हुए हैं। सभी प्राध्यापक भारत के सर्वश्रेष्ठ संस्थानों से पास आउट है और अनुभवी एवं अपने विषय के ज्ञाता है।
शिक्षक संघ ने जोरदार तरीके से कहा कि कुछ स्वयंभू अधिकारी नियमों की अनदेखी करके बार-बार अपना और अपने चहेतों का कार्यकाल बढ़ाते रहते हैं। विश्वविद्यालय की उच्चतम कमेटियों में शिक्षकों का प्रतिनिधित्व ना के बराबर है। ऐसे में नियमों की अवहेलना हो रही है। क्योंकि किसी भी शिक्षक की पदोन्नति पिछले एक दशक से नहीं की गई है। इस वजह से शिक्षकों की आवाज को भी अनसुना किया जा रहा है। सुपवा शिक्षक संघ ने विवि प्रशासन से मांग की है कि सकारात्मक तरीके से शिक्षकों के लंबित यूजीसी वेतनमान, 7वें सीपीसी और पदोन्नति के मांगों को अति शीघ्रता से निवारण किया जाए और शिक्षकों का हक उन्हें दिया जाए।