समाचार विश्लेषण/परंपराओं को बदलती सोच 

समाचार विश्लेषण/परंपराओं को बदलती सोच 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
हरियाणा में इन दिनों महिलाओं ऐसी सोच सामने आ रही है जो परंपरा को बदलने की ओर संकेत कर रही है । यह बहुत शुभ है समाज के लिये । पहले राष्ट्रीय हाॅकी टीम की कप्तान सविता पूनिया की शादी में मात्र एक रुपये लिया जाना चर्चा में रहा । इससे पहले कुछ गांवों में लड़कों की बजाय लड़कियों की घुड़चढ़ी के समेकित देखकर मन खुश होता रहा । कह सकते हैं -रंगा खुश ! समाज सदियों से लड़कियों के साथ भेदभाव करता आ रहा है । आश्रमों व गुरुकुलों में लड़कियाँ शिक्षा भी प्राप्त नहीं कर सकती थीं । कभी कोई लक्ष्मीबाई जैसी एक रही जो धनुषवाण और तीरंदाजी और घुड़सवारी सीख पाई । जीजाबाई जैसी मां भी कोई कोई ही हुई जिसने बेटे शिवाजी को स्वाभिमान और स्वतंत्रता का पाठ पढ़ाये ! जहां देखो लड़कियों को दबाकर रखने की ही कोशिश रही । हरियाणा के शाहाबाद की रानी रामपाल ने जब हाॅकी मैदान में कदम रखा तब कोच ने कोशिश की उसे मैदान से भगाने की कि तुम्हारी सेहत नहीं है लेकिन अपने दृढ़संकल्प से रानी रामपाल कप्तान तक पहुंची । ये छोरियां जो न कर दें , कम है ! 
ताज़ा उदाहरण है एक्ट्रेस अंज्वी हुड्डा का । अंज्वी जल्द ही शादी के बंधन में बंधने जा रही है । रोहतक के गांव किलोई निवासी अंज्वी का कोई मामा नहीं है । मामा न होने के कारण उसकी चार मौसियों ने मिल कर अंज्वी का भात भरने की रस्म अदा कर एक नयी सोच को समाज के सामने रखा है । ओलंपियन साक्षी मलिक के कोच ईश्वर दहिया के बेटे दीपक दहिया के साथ अंज्वी देहरादून में सात फेरे लेने जा रही है । आज की इस भागमभाग ज़िन्दगी में जहां सामाजिक ढांचा टूटता जा रहा है , वहीं किलोई गांव मे परंपरा टूटी अंर नयी सोच सामने आई । यह मिसाल बन जायेगी । ऐसी उम्मीद की जा सकती है । 
इससे पहले एक अनोखी मिसाल राजनेता चौ सुरेंद्र सिंह के निधन पर उनकी इकलौती बेटी व पूर्व सांसद श्रुति चौधरी ने अपने पिता की अर्थी को कंधा दैत्य पेश की थी । इसी तरह हिसार के प्रसिद्ध समाजसेवी व गायक सुरेंद्र छिंदा की दोनों बेटियों जूही और गिम्भी ने भी अपनी मां की अर्थी को न केवल कंधा दिया बल्कि कीरतपुर जाकर अस्थियां भी विसर्जित कीं ! वैसे अनेक बार लायंस 
यह सोच जितनी बढ़ती जायेगी समाज में लडकियों का उतना ही महत्त्व बढ़ता जायेगा ! फिर बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ जैसे नारों की जरूरत नहीं रहेगी । -*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।