ये बंधन तो राजनीति का बंधन है
-*कमलेश भारतीय
आज रक्षाबंधन है । प्यार का, समर्पण का कच्चे सूत का सबसे मजबूत बंधन। फेविकोल के जोड़ से भी मजबूत लेकिन एक राजनीतिक बंधन है जो दिखता तो फेविकोल के जोड़ जैसा लेकिन निकलता है कच्चे सूत जैसा, बिल्कुल कच्चा। इधर गठबंधन हुआ, उधर टूटा। अभी लोकसभा चुनाव का ही उदाहरण देख लो न ! कांग्रेस और आप में गठबंधन था, दोनों दलों के नेता गलबहियां डाले हरियाणा में दिखते थे कि लोकसभा चुनाव के नतीजे आते ही आप ने हाथ का साथ छोड़ कर अपने दम पर चुनाव लड़ने की घोषणा करदी, नब्बे की नब्बे सीट खुद अपने दम पर लड़ेगी आप पार्टी ! तो यह बंधन राजनीतिक है, आज है, कल नहीं !
अभी हरियाणा में कितने सालों बाद इनेलो व बसपा फिर निकट आ गयी हैं, दोनों ने फैसला किया कि इस विधानसभा चुनाव को मिलकर लड़ते हैं और 53 पर इनेलो, 37 पर बसपा ने चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन अभी तक विधानसभा सीटों का बंटवारा नहीं किया तो प्रचार कब करेंगे ? यही नहीं, कौन कहां से लड़ेगा, यह फैसला बाकी है। चुनाव सिर पर आ गया, रणनीति कब बनेगी? महम के निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू भी अलग यानी न्यारी पार्टी बनाकर मैदान में हैं-जनसेवक या जनसेवा पार्टी! कुंडू निर्दलीय ही महम से चुनाव लड़कर विधानसभा पहुंचे थे। पहले भाजपा को समर्थन दिया फिर वापस ले लिया लेकिन राज्यसभा में वोट डालने ही नहीं गये । अब वे तो महम से ही चुनाव लड़ेंगे जबकि उनकी धर्मपत्नी परमजीत कुंडू जुलाना से मेदान में उतरेंगीं । अब बताइये, अभी तक दो ही प्रत्याशी घर में ही मिल गये हैं, बाकी रब्ब खैर करे ! हलोपा की बात भी कर लीजिए भाई ! गोपाल कांडा व गोविन्द कांडा बर्दर्ज एंड पार्टी ! सिरसा और ऐलनाबाद इनकी दो ही सीटें और भाजपा जैसी राष्ट्रीय पार्टी इससे गठबंधन किये हुए है! ये तो हद ही हो गयी न! कहां राजा भोज, कहां गंगू तेली पर न जाने कब गठबंधन में काम आ जाये! पिछली बार का पता है न? कैसे हेलीकॉप्टर से उड़ान भर कर इन्हें दिल्ली ले जाया गया था और गठबंधन सरकार बनी थी! क्या मालूम नारायण किस, भेष में मिल जाये! इसे देखते हुए राजा भोज को गंगू तेली से भी गठबंधन करना पड़ा ! अभी अखिलेश महोदय कांग्रेस से गठबंधन में हरियाणा विधानसभा चुनाव में पांच सीटें मांग रही है। क्या फैसला लेगी कांग्रेस यह देखना है ! जजपा को फिलहाल एकला चलो रे ही कहना होगा! गठबंधन की कहीं कोई आस नहीं। फिलहाल अछूत मानी जा रही राजनीतिक गलियारों में!
तो आज रक्षाबंधन नहीं, राजनीतिक गठबंधन है, ये बंधन तो कच्चे हैं !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी