बाबाओं का यह मायालोक
-*कमलेश भारतीय
उत्तर प्रदेश के भोले बाबा के बारे में मिले विवरण के अनुसार उन्होंने मायालोक बना कर आमजन को भ्रमित करने का काम कर रखा था। खुद को भगवान् विष्णु का अवतार बता कर डिजिटल तरीके से शेषनाग पर बैठे सुदर्शन चक्र थामे दिखाई देते थे और अतीत ऐसा कि 28 साल पहले छेड़खानी के आरोप में पुलिस विभाग में निलंबित हुए और एटा जेल की हवा भी खाई और आधा दर्जन आपराधिक मामले दर्ज हैं और ये साक्षात् विष्णु भगवान् होने का दम भरते हैं। कोर्ट से बहाल होने के बाद स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति लेकर सूरजपाल जाटव बाबा नारायण साकार हरि के रूप में सामने आया।
अभी इसकी मैनपुरी के आश्रम में आरती उतारी जा रही है और मुख्य द्वार पर चरणामृत और प्रसाद व भोग वितरण किये जाने के समाचार हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बाबा आदित्यनाथ, जो बुलडोजर बाबा के रूप में मीडिया में वाहवाही लूट रहे हैं, उनका बुलडोजर अब तक कहां है और आश्रम पर व भोले बाबा पर कोई कार्यवाही क्यों नहीं हो रही? ये सवाल उठ रहे हैं निरंतर।
अभी उत्तर प्रदेश के बाद आज विदेश में भी ऐसे ही ढोंगी धर्मगुरु राजिंदर कालिया पर उनकी ही चार शिष्याओं ने यौन शोषण का आरोप लगाया है। ये धर्मगुरु इक्कीस साल पहले ब्रिटेन पहुंचे और एक मंदिर बनाया, आरोप है कि भारतीय मूल की चार शिष्याओं की मदद करने के नाम पर दुष्कर्म किया। तीन लोगों ने वेतन न देने का आरोप भी लगाया।
आखिर यह बाबाओं का कैसा मायाजाल है? क्या राम रहीम, आसाराम या अन्य बाबाओं के अतीत के किस्सों से समाज कोई सबक लेने को तैयार नहीं? दुखों को दूर करने या करवाने के लिए इन ढोंगियों के सिवाय और कोई रास्ता नहीं? धर्म के नाम पर ये कैसे अवतार बन कर सामने आ रहे हैं, जिन पर उनकी ही शिष्याओं या साध्वियों के यौन शोषण के केस चल रहे हैं? इस मायाजाल से कब मुक्त होंगे? अशिक्षा, अंधविश्वास, असीमित दुख और सीमित कमाई ये सब कारण हैं इनके मायाजाल के फैलने के। ये भोले बाबा भोली जनता के धन, मन और तन का हरण करने में संकोच नहीं करते। फिर भी ये बाबा हैं और 121 लोगों की आहुति के बाद भी इनके आश्रम बड़े आराम से चल रहे हैं। सत्य धर्म की परीक्षा का समय है। अधर्म का नाश हो, सत्य की विजय। तभी मानेंगे कि कहीं धरती पर स्वर्ग है धर्म है।
मुझको कहां ढूंढे रे बंदे
मैं तो तेरे पास में....
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।