अच्छी व पारिवारिक फिल्मों का हिस्सा बनूं यही इच्छा है: हरिओम कौशिक
-कमलेश भारतीय
हिसार में दो दिवसीय फिल्म फेस्टिवल के आयोजक हरिओम कौशिक ने कहा कि अच्छी व पारिवारिक फिल्मों का हिस्सा बनूं , यही मेरी इच्छा है । फिल्म फेस्टिवल करवाने के पीछे इतना ही आइडिया था कि सार्थक चीज़ें सामने आ सकें । मूल रूप से महेंद्रगढ़ के गांव जांटी निवासी हरिओम कौशिक ने ग्रेजुएशन कनीना के काॅलेज से की और एम ए संस्कृत कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय से । बाद में रोहतक की सुपवा से एक्टिंग की डिग्री की । आजकल गुरु जम्भेश्वर विश्विद्यालय के जनसंचार विभाग से दो वर्षीय पाठ्यक्रम कर रहे हैं ।
-एक्टिंग में शौक कब ?
-कनीना काॅलेज के दिनों से । पहला नाटक मंटो की कहानी टोबा टेक सिंह पर आधारित था । दूसरा सुपवा में लकीरें ! हरियाणवी आर्केस्ट्रा में भी शामिल रहा जिसे प्रथम पुरस्कार मिला था । कुरूक्षेत्र विश्वविद्यालय की हरियाणवी स्किट में भी ।
-कोई और गतिविधि ?
-राजपथ पर गणतंत्र दिवस पर होने वाली परेड में काॅलेज की ओर से चुना गया था ।
-मम्मी पापा ने रोका टोका नहीं ?
-नही । न पापा कैलाश ने और न ही मम्मी सुमन देवी और न ही पत्नी हेमंत ने । सबने सहयोग ही दिया । वे अपना स्कूल चलाते हैं ।
-कौन हैं आपके एक्टिंग गुरु ?
-जोगी मलंग । जिनके साथ मुम्बई में काम भी किया ।
-कौन से एक्टर पसंद ?
-सुपवा में रहते नवाजुद्दीन व अनुपम खेर पर रिसर्च की थी । वैसे सबसे सीखता रहता हूं ।
-और कोई जानकारी ?
-सेंसर बोर्ड का सदस्य हूं । गोवा फिल्म फेस्टिवल की चयन समिति में भी था । चित्र भारती से जुड़ा हूं ।
-क्या लक्ष्य ?
-बस । अच्छी व पारिवारिक फिल्मों से जुड़ा रहूं !
हमारी शुभकामनाएं हरिओम कौशिक को ।