समाचार विश्लेषण/यह कोई मजाक नहीं है भारती
-*कमलेश भारतीय
प्रसिद्ध काॅमेडियन भारती सिंह ने एक शो में दाढ़ी मूंछ को लेकर जो मजाक उड़ाया, अब वह खुद मजाक का पात्र बन कर रह गयी हैं । भारती सिंह खुद पंजाब की पवित्र नगरी अमृतसर में पली बढ़ी हैं और दाढ़ी मूंछ एक समाज के लिए कितना मायने रखते हैं , अच्छी तरह जानती हैं । फिर भी हास्य के खेल में वे सारी मर्यादा भूल गयीं ? क्यों ? हास्य की भी एक सीमा है और हास्य कलाकार की भी । कभी कीकू शारदा ने भी एक डेरे के प्रमुख का उसी तरह की ड्रेस पहन कर मजाक उड़ाया था और उन्हें कैथल की कोर्ट के चक्कर लगाने पड़े थे और माफी भी मांगनी पड़ी थी । तभी तो कह रहा हूं कि हास्य की एक सीमा है । इसीलिए प्रसिद्ध व्यंग्यकार डाॅ इंद्रनाथ मदान कहा करते थे :
दूसरों को पिला कर गिराना तो आसान है साकी
मजा तो तब है जो गिरतों को थाम ले साकी
तो साकी यानी एंकरिंग का काम करते हुए संभल संभल कर चलने की जरूरत है और अपनी सीमा और मर्यादा का ध्यान रखने की जरूरत है । काॅमेडियन समय समय पर ऐसे विवादों में फंसते आए हैं और माफी मांगकर ही छुटकारा पाते रहे हैं ।
हास्य व्यंग्य से हम समाज को खुशियां बांटते हैं , तनाव दूर करते हैं और स्वस्थ समाज के निर्माण में योगदान देते हैं लेकिन इस तरह के फूहड़ मजाक से हम अपने प्रति आदर खो देते हैं । दूसरों पर मर्यादा में रह कर ही मजाक किये जाने चाहिएं । फिल्मों में सदैव एक काॅमैडियन की भूमिका रहती है । कभी जाॅनी वाकर तो कभी जाॅनी लीवर तो बीच में महमूद , राजेंद्रनाथ , देवेन वर्मा , आई एस जौहर, ओमप्रकाश जैसे अनेक काॅमेडियन हमें हास्य परोसते रहे । फिर तो खुद हीरोज ने ही काॅमेडी करनी शुरू कर दी जिससे काॅमेडियन का रोल खत्म होने लगा । अब फिल्मों में तो लगभग काॅमेडियन का रोल खत्म हो चुका है लेकिन कपिल शर्मा शो और अन्य हास्य शोज में काॅमेडियन चल रहे हैं । दुखांत यह है कि कपिल शर्मा शो में सबसे ज्यादा फूहड़ता दिखती है फिर भी यह नम्बर वन शो है । कभी कभी अपनी टिप्पणियों के लिए कपिल शर्मा भी विवाद में फंसे हैं जैसे कि नर्सों को लेकर कई गयी टिप्पणी को लेकर विवाद में आ गये थे । इसलिए हंसायें जरूर लेकिन थोड़ा मर्यादा को बनाये रख कर । नहीं तो आप जानते हो हंसी हंसी में कही गयी द्रौपदी की बात से महाभारत की आधारभूभि बन गयी थी ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।