समाचार विश्लेषण/यह नये लाइफ स्टाइल का कसूर है?
-*कमलेश भारतीय
नया लाइफस्टाइल बहुत खतरनाक स्थितियों में समाज को ले जा रहा है । रोहतक का नया कांड इसी बात का प्रमाण है । बीस वर्षीय अभिषेक उर्फ मोनू ने अपने ही मां बाप , नानी और बहन को मार डाला । सिर्फ इसलिए कि उसके दोस्त को पांच लाख रुपये देने से इंकार कर दिया मां बाप ने ।
क्या इस बहुत ही मार्मिक व घिनौने कांड का दोषी सिर्फ और सिर्फ मोनू ही है ? क्या उसे संस्कार देने में कहीं मां बाप चूक तो नहीं गये ? कहीं नया लाइफस्टाइल ही तो इसका जिम्मेदार नहीं ? सुना है कि मोनू को मात्र बीस वर्ष की उम्र में कार और महंगा फोन एप्प दिया हुआ था । उसकी हर इच्छा पूरी की जाती थी और वह मनमानियां करने लगा था और जब उसकी मनमानी पूरी न हुई तो उसे सहन नहीं हुआ और उसने अपने ही परिवार के लोगों यानी आत्मीय जनों को बुरी तरह मार डाला ।
क्या आपको इस कांड से बरवाला के पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया की बेटी सोनिया द्वारा किये कांड की याद नहीं आई ? वह भी नये लाइफस्टाइल के कारण इस फैसले पर पहुंची थी कि परिवार जनों को ही मौत के घाट उतार दिया जाये जैसे नेपाल में पारस ने किया था और पूरे परिवार को डिनर टेबल पर ही मार डाला था । सोनिया वह वीडियो अनेक बार देखती रही और आखिर प्लानिंग बनाई और पति के साथ मिल कर पूरे परिवार को मार कर नृशंस कांड कर डाला । सोनिया ने दूसरे दिन बरवाला के जनता अस्पताल में मुझे बताया था की जब हमने बचपन में सौ रुपया मांगा पापा से तो पापा का जवाब होता कि नीचे स्टोर में जाओ बोरी भरी पड़ी है जितने चाहे ले लो । इसके बाद शादी में सिर्फ दस लाख रुपये दिये कम्प्यूटर सेंटर चलाने को यमुना नगर में, भला उससे मेरा क्या होता और बस पूरी जायदाद ले सकूं इसलिए यह प्लानिंग बनाई । यह है नया लाइफस्टाइल जो हमने बच्चों को दिया । ये हैं नये संस्कार जो हमने अपने बच्चों को दिये। ऐसे ही कुछ साल पहले यमुना नगर में ही एक जमा दो के छात्र ने अपनी प्रिंसिपल की स्कूल में ही हत्या कर दी थी क्योंकि उसने पापा से शिकायत की थी और वह पापा की ही पिस्तौल ले आया और प्रिंसिपल की हत्या करने में कोई देर नहीं लगाई ।यह है हमारे जीने के नये स्टाइल के घातक परिणाम ।
अभी अपने ओलम्पिक विजेता पहलवान सुशील कुमार की गाथा सबसे ताज़ी है जिसने अपने ही एक पहलवान सागर की बुरी तरह हत्या कर दी क्योंकि उसका लाइफ स्टाइल बदल चुका था । वह कब्जे छुड़वाने वाले गिरोह के सम्पर्क में आकर ईजी मनी बनाने के दुष्चक्र में फंस गया था । उस लाइफ स्टाइल ने उसे जेल की हवा खिला दी ।
हमें अपनी नयी पीढ़ी को संस्कारवान बनाने की ओर कदम उठाने होंगे । नहीं तो पश्चिम की अंधी दौड़ कहां से कहां ले जायेगी , कह नहीं सकते । नहीं तो यही बात याद आयेगी
बोये पेड़ बबूल के
तो आम कहां से होये ....
-*पूर्व उपाध्यक्ष हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।