अश्विनी जेतली की इस सप्ताह की ग़ज़ल
दिल की गहराईओं से लिखी ग़ज़ल
चुप्प ही रहते अगर तो अच्छा था
कुछ ना कहते अगर तो अच्छा था
कही जो बात दिल की तो वो बुरा मान गए
अरमां दिल में दबे रहते अगर तो अच्छा था
उनसे मिलते ही नज़र, बिखर गए पल में
ख़ाब आँखों में ही रहते अगर तो अच्छा था
ये बह निकले तो हुई यार की रुसवाई
अश्क यूं ना बहते अगर तो अच्छा था
उन्हें बताने की सज़ा पाई है बेरुखी उनकी
ग़मों को चुपचाप ही सहते अगर तो अच्छा था