स्वामी दयानंद सरस्वती के विचार और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैः कुलपति प्रो. राजबीर सिंह
मदवि में प्रसार-व्याख्यान कार्यक्रम आयोजित।
रोहतक, गिरीश सैनी। स्वामी दयानंद भारत के महान समाज सुधारक, आर्य समाज के संस्थापक और राष्ट्र भक्त थे, जिनका जीवन समाज और राष्ट्र उत्थान को समर्पित रहा। यह उद्गार महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने सोमवार को एमडीयू की संत-साहित्य शोध पीठ द्वारा स्वराज सदन में- समाज एवं राष्ट्र उत्थान में महर्षि दयानंद का योगदान विषय पर आयोजित प्रसार-व्याख्यान कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए।
अपने संबोधन में कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने कहा कि स्वामी दयानंद सरस्वती दूरदृष्टा रखते थे, उनके विचार और सिद्धांत आज भी प्रासंगिक हैं। स्वराज, स्वभाषा, स्वसंस्कृती, स्वरोजगार, स्वदेशी जागरण की बात स्वामी दयानंद सरस्वती ने कही। उन्होंने विद्यार्थियों से स्वामी दयानंद के जीवन से प्रेरणा लेकर समाज और राष्ट्र के निर्माण में अपना योगदान देने का आह्वान किया।
गुरुकुल कांगड़ी विवि, हरिद्वार के पूर्व कुलपति प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि महर्षि दयानंद सरस्वती का व्यक्तित्व बहुत विराट था। महर्षि दयानंद महान समाज सुधारक, विचारक, राजनीतिक चिंतक, देश भक्त और निडर संन्यासी थे, जिन्होंने राष्ट्र के उत्थान में अहम भूमिका निभाई और आजादी प्राप्त करने की प्रेरणा दी।
डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. सुरेन्द्र कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि 19वीं सदी के सबसे महान विचारकों में स्वामी दयानंद सरस्वती सबसे ऊपर रहे, जिनका प्रभाव व्यापक रहा। महर्षि दयानंद ने समाज के हर क्षेत्र के उत्थान में योगदान दिया। रूढ़िवादिता, अंधविश्वास, पाखंडवाद, संप्रदायवाद समेत अन्य कुरीतियों से समाज को छुटकारा दिलाते हुए स्वामी दयानंद ने भारत राष्ट्र को एक सूत्र में बांधने का कार्य किया।
संत-साहित्य शोध पीठ के अध्यक्ष एवं इस कार्यक्रम के संयोजक प्रो. संजीव कुमार ने कार्यक्रम का समन्वयन किया और आभार जताया। उन्होंने कहा कि राष्ट्र चेतना में महर्षि दयानंद सरस्वती की अहम भूमिका रही। संयोजक डॉ. जगदेव विद्यालंकार ने मंच संचालन किया।
इस दौरान प्रतिष्ठित शिक्षाविद् डॉ. सीता राम व्यास, डॉ. खजान सिंह गुलिया, चौ. रणबीर सिंह इंस्टीट्यूट ऑफ सोशल एंड इकोनॉमिक चेंज की निदेशिका प्रो. सोनिया मलिक, हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ. कृष्णा जून, सीडीएस निदेशक प्रो. राधे श्याम, प्रो. पुष्पा रानी, डॉ. पुष्पा देवी, डॉ. श्रीभगवान, डॉ. रवि प्रभात समेत एमडीयू के शिक्षक, शोधार्थी, विद्यार्थी व शहर के प्रबुद्धजन मौजूद रहे।