समाचार विश्लेषण/टिकैत, किसान आंदोलन और सरकार
-कमलेश भारतीय
किसान आंदोलन का चेहरा बन चुके राकेश टिकैत कल हिसार व इसके आसपास लांधड़ी टोल पर धरना दे रहे किसानों की हौंसला अफजाई के लिए पहुंचे थे । बार एसोसिएशन में धरना देने वाले वकीलों से भी मिले और कहा कि वकील सदैव डटकर साथ देते आए हैं । इसी प्रकार लांधड़ी टोल पर भी किसानों की सराहना की कि वे दिल्ली की तर्ज पर लगातार धरना दे रहे हैं , इसलिए यहां आए हैं । बेशक ये शब्द सुन कर धरना देने वालों के हौंसले बढ़े होंगे ।
टिकैत ने सरकार द्वारा यह आरोप लगाये जाने का जोरदार विरोध किया कि ऑक्सीजन की सप्लाई में किसान आंदोलन के चलते देरी हो रही है । टिकैत ने कहा कि हमने दूध , फल , सब्ज़ी की सप्लाई नहीं रोकी तो ऑक्सीजन की सप्लाई कैसे रोक सकते है? ऑक्सीजन की सप्लाई को लेकर हमें बिना वजह बदनाम किया जा रहा है । जिसने भी इस मामले में झूठ बोला है उसकी जांच होनी चाहिए । हम तीन सौ एम्बुलेंस रोज़ जाने देते हैं । सरकार ऑक्सीजन की कमी पूरी नहीं कर पा रही और दोष हम पर लगा रही है।
टिकैत ने कहा कि सरकार हमारी चिंता न करे बल्कि जो बीमार हैं उनकी चिंता करे । जो बीमार हैं उनके लिए तो अस्पतालों में जगह ही नहीं है। यह चेतावनी भी दी कि सरकार हमारे आंदोलन की शाहीन बाग आंदोलन न समझे । यह खाली नहीं होगा।
टिकैत लगातार हरियाणा में फेरी लगाने आ रहे हैं लेकिन एक बात की ओर ध्यान जा रहा है कि हरियाणा के किसान नेता गुरनाम हैं सिंह चढूनी कभी इनके दौरे में दिखाई नहीं देते। यह तालमेल क्यों नहीं ? आखिर किसान नेताओं में एकता क्यों नहीं ? हरियाणा के ही योगेंद्र यादव भी कम सक्रिय दिखाई दे रहे हैं। किसान आंदोलन को चलते 149 दिन हो गये हैं और ये छोटी छोटी दरारें नेताओं के बीच खलने लगी हैं ।
मज़ेदार बात कि जब पश्चिमी बंगाल का चुनाव लगभग समापन पर आ गया तब हमारे साहब को कोरोना की चिंता सताई । क्या कहें ,,,,
रंज बहुत है हुक्मरान को
मगर बड़े आराम के साथ,,,,,
और अरविंद केजरीवाल ने साहब के साथ मुख्यमंत्रियों की बातचीत वायरल कर दी तो खफा हो गये ।