विज्ञापन जगत में सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ क्रिएटिव विजुअलाइजेशन तथा इमोशनल कनेक्ट होना जरूरी हैः सुराजीत गुहा

एडवरटाइजिंग करियर पर एमडीयू में कार्यशाला आयोजित।

विज्ञापन जगत में सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ क्रिएटिव विजुअलाइजेशन तथा इमोशनल कनेक्ट होना जरूरी हैः सुराजीत गुहा

रोहतक, गिरीश सैनी। विज्ञापन की दुनिया बाहर से आकर्षक लगती है। पर विज्ञापन जगत में सफलता प्राप्त करने के लिए कड़ी मेहनत के साथ-साथ क्रिएटिव विजुअलाइजेशन तथा इमोशनल कनेक्ट होना जरूरी है। विज्ञापन की दुनिया में शिखर तक पहुंचने के लिए जुनून तथा पागलपन (क्रिएटिव मैडनेस) जरूरी है। प्रतिष्ठित विज्ञापन प्रोफेशनल, अंतरराष्ट्रीय अनुभव युक्त क्रिएटिव एवं स्ट्रटेजिक कंसल्टेंट सुराजीत गुहा ने वीरवार को महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के पत्रकारिता एवं जनसंचार विभाग में आयोजित कार्यशाला में विज्ञापन क्षेत्र बारे ज्ञान तथा अनुभव साझा करते हुए ये विचार व्यक्त किए।

सुराजीत गुहा ने- एडवरटाइजिंग करियर: द इनसाइड स्टोरी विषयक कार्यशाला में बतौर आमंत्रित विशेषज्ञ शिरकत करते हुए कहा कि विज्ञापन किसी भी व्यक्ति प्रोडक्ट, सर्विसेज, इंस्टीट्यूशन की पहचान बनाने की कवायद है। विज्ञापन के जरिए प्रभावी उपस्थिति दर्ज कराई जाती है।

सुराजीत गुहा ने कहा कि विज्ञापन का प्रभावी होना क्या कहा जाए, क्यों कहा जाए, कैसे कहा जाए की प्रक्रिया है। विज्ञापन के सृजन में विचारों का विशेष महत्व है। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में आज भी ओरिजनल आइडिया तथा क्रिएटिव आइडिया थिंकर का महत्व रहेगा, ऐसा उनका कहना था। उन्होंने विज्ञापन के जरिए ब्रांडिंग की प्रक्रिया भी विद्यार्थियों से साझा की। बेहद इंटरैक्टिव सत्र में सुराजीत ने कार्यशाला प्रतिभागियों के साथ न केवल संवाद किया, बल्कि उनके सवालों के उत्तर दिए तथा प्रैक्टिकल टास्क दिए।

पत्रकारिता एवं जनसंचार विभागाध्यक्ष प्रो. हरीश कुमार ने भारत में विज्ञापनों की विकास यात्रा को साझा करते हुए विज्ञापनों के लुभावने नारों का विशेष उल्लेख किया। विज्ञापन की ग्रोथ स्टोरी में टेलीविजन उद्योग के योगदान को रेखांकित किया। कार्यशाला समन्वयक प्राध्यापक सुनित मुखर्जी ने कार्यक्रम संचालन किया। उन्होंने आमंत्रित विशेषज्ञ का परिचय दिया। सुनित मुखर्जी ने कहा कि विज्ञापन का केवल व्यावसायिक महत्व ही नहीं, सामाजिक सरोकार भी महत्वपूर्ण है। उन्होंने कहा कि सार्थक विज्ञापनों के जरिए व्यवहार परिवर्तन का रास्ता भी प्रशस्त होता है। विभाग के शोधार्थी रविकांत, कंवलजीत, जगरूप सिंह, कुलदीप, अजय कुमार, प्रिया, विनोद, आशु, साहिल, साएमा समेत विद्यार्थी मौजूद रहे।