बाल संरक्षण इकाई द्वारा प्रशिक्षण कार्यशाला आयोजित
रोहतक, गिरीश सैनी। उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि किशोर न्याय अधिनियम 2015 की धारा 27 के तहत बाल कल्याण समिति का गठन किया गया है, जिसमें सामाजिक कार्य के अनुभवी कुल 5 सदस्य होते है। जिला विकास भवन के डीआरडीए हाल में जिला बाल संरक्षण इकाई कार्यालय की ओर से एक प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।
उपायुक्त अजय कुमार ने बताया कि समय-समय पर जिला बाल संरक्षण इकाई द्वारा स्टेकहोल्डर्स के लिए कार्यशाला का आयोजन करवाया जाता है। इस कार्यशाला में किशोर न्याय अधिनियम 2015 तथा पोक्सो अधिनियम 2012 पर विस्तार से विचार-विमर्श किया गया।
जिला बाल संरक्षण अधिकारी कुलदीप सिंह ने किशोर न्याय बोर्ड व बाल कल्याण समिति की कार्यप्रणाली के बारे में विस्तार से जानकारी दी। इस प्रशिक्षण में मुख्य वक्ता के तौर पर किशोर न्याय बोर्ड के सदस्य जय प्रकाश कौशिक ने किशोर न्याय बोर्ड की कार्यप्रणाली के बारे में बताते हुए कहा कि बोर्ड में बच्चों के मामले पुलिस द्वारा अथवा स्पेशल जुवेनाइल यूनिट द्वारा पेश किया जाता है और सामाजिक जांच के आधार पर ही बालकों की बेल बोर्ड द्वारा निर्धारित की जाती हैं। किशोर न्याय अधिनियम के अनुसार बोर्ड में बालकों के अपराध की श्रेणियों को तीन वर्गो में बांटा गया है, जिनमें छोटे अपराध जिनमे सामान्य कानून के तहत सजा 3 वर्ष से कम का प्रावधान हो, गंभीर अपराध जिसमें सामान्य कानून के तहत सजा 3 वर्ष से 7 वर्ष तक निर्धारित हो और जघन्य अपराध जिनमें सामान्य कानून में सजा 7 वर्ष से अधिक हो, को शामिल किया गया है। अधिनियम के तहत किशोर को अधिकतम 3 वर्ष तक की सजा का प्रावधान है। किसी भी किशोर को रात के समय पुलिस थाना में नहीं रखा जाएगा।
इस कार्यशाला में डीसीडब्ल्यूओ सोमदत्त खुण्डिया, बाल कल्याण समिति की अध्यक्षा आशा आहूजा व सदस्य रचना, बीना कौशिक, अंजू बाला, किशोर न्याय बोर्ड सदस्य नीलम, जिला बाल संरक्षण इकाई से सुनीता, अमित, पूजा, पूनम व मोनी, देखरेख संस्थाओं के स्टाफ सदस्य, एमडीडी एनजीओ की ओर से मंजीत, सविता व रजनी आदि मुख्य रूप से मौजूद रहे।