तिरंगा यूं ही तिरंगा नहीं ...शान तिरंगा है, मान तिरंगा है
-*कमलेश भारतीय
तिरंगा यूं ही तिरंगा नहीं । मेरी शान तिरंगा है , मेरी जान तिरंगा है । यह बिल्कुल सही गीत की पंक्तियां हैं । यूक्रेन के युद्ध ने यह बात साबित कर दिखाई । तिरंगा लेकर जो निकले उनमें पाकिस्तानी छात्र भी थे । तिरंगे के कारण ही उनकी जानें बच पाईं । फिर हिसार के एक गांव सूडांवास के छात्र अंकित ने भी तिरंगे की शान बढ़ा दी जब एक पाकिस्तानी छात्रा को यूक्रेन से बच निकलने में पूरी मदद की और पाकिस्तान ऑफिसर ने भी उसका शुक्रिया अदा किया । यह है तिरंगे की शान । यह है इंसानियत । यह है हमारा भारत महान् और महान् है इसकी संस्कृति । यही क्यों हरियाणा की मात्र सत्रह साल की नेहा ने क्या किया ? उसकी मां ने उसके बच कर लौट आने के पूरे इंतजाम कर दिये थे लेकिन उसने बच कर लौट आने से इसलिए इंकार कर दिया क्योंकि जिस घर में वह रहती थी उस परिवार का मुखिया युद्ध लड़ने गया हुआ है और उसकी पत्नी तीन बच्चों के साथ घर में अकेली है । बस । नेहा ने इस संकट की घड़ी में अपनी जान बचा कर भारत लौटने की बजाय यूक्रेन में ही रहने का फैसला मां को सुना दिया । यह है एक भारतीय आत्मा । यह है भारत के संस्कार और संस्कृति जिसके चलते भारत महान् है ।
ऐसे अनेक जज्बे कोरोना काल में भी देखने को मिले थे । क्या आप उस छोटी सी लड़की को भूल सकते हैं जिसने गुरुग्राम से साइकिल पर अपने बीमार पिता को कितने सैंकड़ों किलोमीटर दूर अपने गांव पहुंचाया था ? हालांकि बाद में तो साइकिल कम्पनियां तक उसे सम्मानित करने पहुंच गयी थीं अंर पिछले दिनों खबर आई थी कि उसके पापा अब इस दुनिया से विदा हो गये । यह है जज्बा । कौन भूल सकता है ? हाॅकी टीम की कप्तान रानी रामपाल एक ऐसे परिवार से थी जिसमें भरपेट खाना भी नहीं मिलता था और कोच ने भी एक बार तो खेल सिखाने से मना कर दिया था लेकिन रानी के जज्बे के आगे कोच को भी झुकना पड़ा । एक घोड़े के तांगे वाले की बेटी ने अपने जज्बे से तिरंगे की शान देश विदेश में बढ़ा दी । सेमीफाइनल तक पहली बार महिला हाॅकी को पहुंचा कर सारे देशवासियों का दिल जीत लिया रानी रामपाल की टीम ने । अब हमारी सविता की बारी है । क्या आप मीरा चानू को भूल सकते हो ? जिसकी इच्छा थी कि कुछ ऐसा करूं जिससे मेरी मां को सिर पर बोझ ढोना न पड़े और ओलम्पिक ने उसके जज्बे को सारे देश ने सलाम किया ।
ऐसे और कितने उदाहरण हैं और हो सकते हैं तभी तो जब हमारे चंद्र अभियान के यात्री चंद्र तक पहुंचे थे और तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने पूछा था कि आपको क्या दिखाई दे रहा है और कैसा महसूस हो रहा है ? इस पर जवाब आया था : सारे जहां से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा । सच । बिल्कुल सच । सारे जहा से अच्छा हिन्दुस्तान हमारा । सबसे प्यारा । सबसे न्यारा । सबसे अच्छा हिन्दुस्तान हमारा ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।