समाचार विश्लेषण/तुझसे नाराज नहीं ज़िंदगी...

बृजभूषण सिंह के खिलाफ कोई नहीं आया ?

समाचार विश्लेषण/तुझसे नाराज नहीं ज़िंदगी...
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
अभी ज्यादा दिन नहीं बीते जब विनेश फौगाट जैसी दर्जनों पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह पर यौन शोषण के आरोप लगाये थे और दिल्ली में जंतर मंतर पर धरना भी दिया था । देश भर से महिलाओं के साथ ऐसा व्यवहार करने का मामला खूब खूब उछला था । अब खबर आ रही है कि मुक्केबाज मेरिकाॅम के नेतृत्व वाली सात सदस्यीय कमेटी ने खेल मंत्रालय को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है । सबसे हैरान कर देने वाली बात यह सामने आ रही है कि यौन शोषण के आरोपों को लेकर बृजभूषण के खिलाफ किसी भी पहलवान ने गवाही ही नहीं दी ! यहां तक कि आरोप लगाने वाली विनेश फौगाट की गवाही का भी कोई जिक्र नहीं । अपने आरोपों को साबित करने के लिए कोई भी कमेटी के सामने नहीं आया । कमेटी में पहलवान योगेश्वर दत्त और डोला बनर्जी भी शामिल रहे । हां ! बृजभूषण के बर्ताव को लेकर कमेटी ने सवाल जरूर खड़े किये हैं । रिपोर्ट में यह कहा गया है कि बृजभूषण का स्वभाव थोड़ा अक्खड़ है जिससे पहलवान असहज हो जाते हैं । दूसरी ओर बृजभूषण ने कहा था कि हरियाणा के पहलवान दूसरे राज्यों के पहलवानों का हक मार रहे हैं । यहां तक कि दीपेंद्र हुड्डा पर पहलवानों को उकसाने के आरोप लगाये गये थे ।
इस सब मामले में एक बात की आशंका जरूर हो रही है कि खेल मंत्रालय ने अपने अध्यक्ष का सम्मान बचाने के लिये सब खूब मैनेज कर लिया जिससे कोई भी पहलवान आरोपों का प्रमाण लेकर कमेटी के सामने नही आया । खुद विनेश फौगाट ही नहीं आईं जबकि उनका कहना था कि हमारे पास पुख्ता सबूत हैं । फिर ये सबूत कहां गये ? या इनके आरोप हवा हवाई क्यों हो गये ? सीआईडी सीरियल में एसीपी प्रद्युम्न का एक डायलॉग याद आ रहा है -कुछ तो गड़बड़ है दया ! जरूर मामले में कुछ और है । मामले को उठाने वाली विनेश फौगाट ही कमेटी के सामने न आईं । इससे बड़ी और क्या मैनेजमेंट होगी ! क्या अब यौन शोषण का मामला फाइलों में ही दब कर नहीं रह जायेगा ? 
इसी तरह कुछ ऐसा ही हश्र हरियाणा की महिला कोच के मामले का भी होने का अंदेशा बढ़ गया है । महिला कोच को पहले एक करोड़ की पेशकश की गयी , फिर जो मांगेगी , वही मिलेगा और फिर केस को लगातार टालते जाना ! यानी थक-हार कर महिला कोच घर बैठ जाये ! जिद्द छोड़कर ऑफर स्वीकार कर चुप हो जाये ! यह  तरीका बहुत पुराना है-किसी मामले को तब तक लटकाओ जब तक लोग उसे भूल न जाये या उस मामले को बहुत ही मामूली न मान लें ! 
आखिर विनेश खामोश क्यों हुईं ? क्या अपने कैरियर को लेकर ? क्या उस पर कोई दबाब आ गया ? कितने सवाल उठ खड़े हैं विनेश की चुप्पी से ! महिला कोच चुप तो नहीं लेकिन कहीं से भी सहयोग न मिलता देख हैरान बहुत है । तभी तो कहा गया -
तुझसे नाराज नहीं ज़िंदगी 
हैरान हूं मैं 
तेरे मासूम सवालों से 
परेशान हूं मैं 
हां ! परेशान हूं मैं !!! 

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।