समाचार विश्लेषण/दो देश, दो सबक
-*कमलेश भारतीय
इन दिनों दो देशों में राजनीतिक उथल पुथल हुई है जो काफी हैरतअंगेज कही जा सकती हैं । पहले पड़ोसी देश श्रीलंका की बात करते हैं । रोष में आई जनता ने राष्ट्रपति भवन पर धावा बोल दिया और राष्ट्रपति को दोष छोड़कर भागना पड़ा। सेना भी रोष में आई जनता को नियन्त्रित करने में बुरी तरह फ्लॉप रही । जो दृश्य सामने आए वे बहुत ही भयावह रहे । प्रधानमंत्री ने इस्तीफे की पेशकश कर दी । बताया जाता है कि हजारों करोड़ रुपये विदेश भेज दिये और देश की आर्थिक स्थिति डांवाडोल बना दी । इतनी कि लोग दोपहर तक बच्चों को सुलाये रखते ताकि नाश्ता देने सू बच सकें । ऐसी करूण स्थिति में देश को ला दिया । राजपक्षे परिवार ने पांच पदों पर कब्जा कर लिया और मनमानियां कीं । इससे जनता तंग आ गयी और सड़कों पर निकल पड़ी ।इसमें क्रिकेट के पूर्व कप्तान अर्जुन रणतुंगे भी देखे गये ।
श्रीलंका से बहुत बड़ा सबक मिला । जनता जब अपने पर आती है तो राष्ट्रपति की सुरक्षा भी कुछ नहीं कर पाती । आर्थिक मंदी की चिंता करनी चाहिए और जनता के कल्याण के बारे में सोचना चाहिए न कि अपने परिवार के बारे में ।
दूसरी ओर इंग्लैंड के प्रधानमंत्री जानसन को इस्तीफा देना पड़ा। जिन को इस्तीफा देने पर मजबूर किया उनके सहयोगी मंत्रियों ने इस्तीफे देकर । आखिर सैक्स स्कैंडल जानसन को ले बैठा । सत्ता पर बैठने वाले को लोग आइडियल देखते हैं और वही इस तरह सैक्स स्कैंडल में फंसा मिले तो यही होता है जो हुआ । कुछ वर्ष पहले अमेरिका के राष्ट्रपति भी अपनी ही एक महिला कर्मचारी के साथ संबंधों को लेकर चर्चित रहे थे और उनका राजनीतिक सफर भी खत्म हो गया था । पुराने जमाने में राजा भी इस तरह के स्कैंडल में फंसे नजर आते थे । बिहारी ने इसीलिए तो दोहा लिखा था :
अली भंवरे अभी कमसिन है रानी यानी कली उसी के साथ इस तरह मस्त होकर राजकाज भूल गये हो तो आगे क्या हाल होगा यानी जब ये रानी पूरी यौवन पर आयेगी , तब क्या होगा ? राजा होश में आ गया था और राजकाज संभाल लिया था । कवि की बहुत बड़ी भूमिका थी । रामधारी सिंह दिनकर ने भी पंडित जवाहर लाल नेहरु से कहा था कि जहां जहां राजनीति डगमगाती है , वहीं वहीं साहित्य उसे संभालता है और दिशा देता है । हमारे कितने नेता प्रेमपाश में फंसे और फिर विवाह भी किया । हाल का उदाहरण पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान हैं । किसी ने सोशल मीडिया पर इस काॅमेडियन पर चुटकी ली है कि आपने तो पंजाब की तस्वीर बदलने का वादा किया था , पत्नी बदलने का नहीं । पर हर किसी को अपनी जिंदगी जीने का हक है , फिर वे दिग्गी राजा यानी दिग्विजय सिंह ही क्यों न हों ...
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।