समाचार विश्लेषण / अपनी अपनी उम्मीद- दो रैलियां और दो परिणाम
-*कमलेश भारतीय
कल दो महत्वपूर्ण रैलियां थी । एक हरियाणा के गोहाना में तो दूसरी कश्मीर के लाल चौक पर । गोहाना में खराब मौसम के चलते भाजपा के चाणक्य कहे जाने वाले व गृहमंत्री अमित शाह नहीं आ पाये और फोन पर ही डेढ़ मिनट संबोधित कर इतिश्री कर ली जबकि लाल चौक पर भी मौसम तो खराब ही था लेकिन भारत जोड़ो यात्रा के समापन पर राहुल गांधी ने तिरंगा फहराया और उम्मीद जाहिर की कि विपक्ष एकजुट होकर लड़ेगा । यह भी कहा कि देश के साथ किया वादा पूरा किया । नफरत हारी और मुहब्बत जीतेगी । अमित शाह ने कहा कि हरियाणा की जनता फिर से लोकसभा चुनाव में दस की दस सीटें भाजपा की ही झोली में डालेगी ! जैसा स्वागत भारत जोड़ो यात्रा का हरियाणा में हुआ , उससे यह उम्मीद करना बहुत सही नहीं होगा । ये संकेत साफ साफ हैं । बहुत मेहनत करने की जरूरत है । जिस तरह से नवनिर्वाचित सरपंचों का आंदोलन चल रहा था , उससे भाजपा को सबक लेना चाहिए था । पहले सरपंचों के आंदोलन को समाप्त करते तब रैली रखते । सरपंचों ने तो घोषणा कर दी थी कि रैली में जाने वालों के रास्ते रोकेंगे ! इस चेतावनी के चलते और खराब मौसम ने भाजपा की रैली को फ्लॉप बना दिया । वैसे इसे फ्लॉप की बजाय मिसमैनेजमेंट कहना बेहतर होगा । यदि सरपंचों की बात सुन ली होती और कोई हल निकाल लिया होता तो रैली का यह हश्र न होता । आमतौर पर हर सरकार पहले किसी आंदोलन को गंभीरता से नहीं लेती और दबाने की कोशिश करती है और यहां भी यही हो रहा है । इसके बावजूद सरकार को सरपंचों से वार्ता कर कोई सही हल खोजना चाहिए । इसे सिर्फ विपक्ष की शरारत न समझी जाये ! इसकी आलोचना तो भाजपा सांसद बृजेंद्र सिंह भी कर रहे हैं और गांव गांव जनसंपर्क अभियान में कह रहे हैं कि दो लाख रुपये के मायने क्या हैं !
दूसरी ओर कांग्रेस ने कश्मीर में अपनी यात्रा के समापन पर तिरंगा फहरा कर बड़ी उम्मीद जगाई है । विपक्ष भी कांग्रेस के साथ कुछ प्रदेशों में आकर खड़ा हुआ है । इधर मायावती ने मुगल गार्डन का नाम बदलने की आलोचना करते कहा है कि मुगल गार्डन का नाम बदलने से क्या देश की समस्याएं दूर हो जाएंगी? मायावती ने कहा कि कुछ मुट्ठी भर लोगों को छोड़कर देश की जनता बेरोजगारी , महंगाई और गरीबी से त्रस्त है । इन समस्याओं पर ध्यान देने की बजाय नामांतरण , धर्मांतरण और नफरत फैलाने वाले भाषणों के जरिये लोगों का ध्यान बांटने का प्रयास अत्यंत दुखद है । क्या मुगल गार्डन का नाम बदलने से देश की ये सारी समस्याएं दूर हो जायेंगीं ?
खैर ! दो रैलियों के दो अलग अलग परिणाम सामने हैं ! मायने कुछ भी निकाल सकते हैं ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।