समाचार विश्लेषण/दो महिलाएं, दो विचार और राजनीति की दिशा 

समाचार विश्लेषण/दो महिलाएं, दो विचार और राजनीति की दिशा 
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
आज समाचार पत्रों में एक तरफ नयी महामहिम बनने जा रहीं द्रौपदी मुर्मू के चुने जाने का समाचार है तो दूसरी तरफ कांग्रेस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी के ईडी के सामने पेश होने का समाचार भी है । जहां द्रौपदी मुर्मू के जीवन की महत्त्वपूर्ण घटनाओं का गौरवमयी गुणगान है और यह भी कि उनके छोटे से गांव में बिजली तब आई जब उन्हें राष्ट्रपति पद के लिए भाजपा ने चुन लिया । इससे पहले सड़क भी तब बनी जब वे विधायक बनीं थीं । एक आदिवासी गांव के विकास में द्रौपदी मुर्मू का नाम ही काफी है । अनेक कष्ट सहन करतीं करतीं वे देश के सर्वोच्च पद तक पहुंचीं । जब चयन हुआ पद के लिए तो मंदिर में जाकर सफाई की । प्रणाम किया । आभार व्यक्त किया ऊपर वाले का । फिर भी पता नहीं क्यों सोशल मीडिया कह रहा है कि जितना विकास छोटे वर्गों का राष्ट्रपति कोविंद के बनने से पिछले पांच वर्षों में हुआ , उतना ही आदिवासियों का भी होगा । ज्यादा उम्मीदें लगाना अच्छा नहीं । हम नयी राष्ट्रपति को बधाई देते हैं ।
दूसरी फोटो वाली महिला सोनिया गांधी है जिन्हें विदेशी महिला ही माना गया । वे न खुद और न अपने पति राजीव गांधी को राजनीति में आने देना चाहती थीं । एक आम भारतीय नारी की तरह अपने दो बच्चों और पायलट पति के साथ बहुत खुश थीं । 
फिर अचानक सन् 84 आया और एक अनिश्चय के बावजूद आधी रात को राजीव गांधी को बिना संसद के सदस्य के प्रधानमंत्री पद की शपथ दिला दी गयी । राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने राष्ट्रपति बनाये जाने का ऋण इस तरह चुका दिया पर दुर्भाग्य अभी गांधी परिवार का पीछा कर रहा था और राजीव गांधी को लिट्टे के कार्यकर्ताओं ने मानव बम से बहुत निर्मम तरीके से खत्म कर दिया । इधर नरसिम्हा राव को प्रधानमंत्री बना दिया और उधर सोनिया गांधी अपने दोनों बच्चों को लेकर शांत जीवन की ओर बढ़ती गयी । 
इसके बावजूद कांग्रेसियों ने जाकर सोनिया गांधी को मनाया और अध्यक्ष बनाया । वे तब अध्यक्ष बनीं जब कांग्रेस लस्त पस्त हालत में थी । सोनिया गांधी ने रोड शो शुरू किये तो सुषमा स्वराज ने कहा कि सोनिया गांधी कांग्रेस को रोड पर ले आई है लेकिन हुआ एकदम उलट । भाजपा ने जितनी आलोचना सोनिया की विदेशी महिला के नाते की , उतनी ही जनता में उनके प्रति सहानुभूति बढ़ती गयी जिसने कांग्रेस को सत्ता के द्वार पर लाकर खड़ा कर दिया । वे प्रधानमंत्री पद के शिल्पकार करीब थीं लेकिन सुषमा स्वराज ने कहा कि यदि वे प्रधानमंत्री बनती हैं तो वे अपना सिर मुंडा देंगीं । दूसरी ओर मुलायम सिंह यादव भी समर्थन वापिस लेने चले तो सोनिया ने खुद की बजाय मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनवा दिया और इनके त्याग को प्रचारित किया गया ।
जो गलती भाजपा ने की , वही गलती कांग्रेस ने की । जब पहली बार नरेन्द्र मोदी प्रधानमंत्री पद के लिए आगे आये तो कांग्रेस के वरिष्ठ लोगों ने चाय वाला कह कर खिल्ली उड़ाई और यहां तक कहा कि चाय वाले को प्रधानमंत्री नहीं बनने देंगे । यही गलती नरेंद्र मोदी की ओर सहानुभूति में बदल गयी और वे प्रधानमंत्री पद तक पहुंच गये । सोनिया गांधी ने भी बयान दिया -मौत का सौदागर । इसने आग में घी का काम किया । 
अब सोनिया गांधी को जिस तरह अस्वस्थ होने के बावजूद ईडी के कार्यालय में बुलाया गया है , उसकी जमकर आलोचना हो रही है । यह बहुत बड़ी गलती दोहरायी जा रही है । इसलिए कांग्रेस ने जमकर इसका विरोध किया कि यदि ईडी चाहती तो ऐसी हालत में सोनिया के घर जाकर पूछताछ कर सकती थी ।
ऐसी ही गलती चौ देवलाल ने की थी जब पूर्व मुख्यमंत्री चौ बंसीलाल को हथकड़ी लगाकर भिवानी में घुमाया गया था । ऐसी ही गलती जनता पार्टी के शासन काल में की गयी थी जब बागपत के पास इंदिरा गांधी को गिरफ्तार किया गया था ।
राजनीति इसी तरह का खेल है । एक की गलती से दूसरे को फायदा मिलता है । अब जितना भी सोनिया गांधी को परेशान किया जायेगा या आलोचना की जायेगी , कांग्रेस को उतनी ही संजीवनी मिलती जायेगी । सोचने की बात है । की मैं झूठ बोल्या...?
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।