समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन का अल्टीमेटम

समाचार विश्लेषण/किसान आंदोलन का अल्टीमेटम
कमलेश भारतीय।

-कमलेश भारतीय 
किसान आंदोलन का कल का दिन चक्का जाम के नाम रहा । तीन घंटे तक चक्का जाम । पंजाब , हरियाणा और राजस्थान में इसका पूरा असर देखने को मिला । छब्बीस जनवरी की ट्रैक्टर परेड के बाद यह दूसरा बड़ा कदम । संसद कूच टाल दिया छब्बीस जनवरी की घटना के बाद । बाॅर्डर पर प्रदर्शन और धरने जारी हैं ।

अपने अंतिम दम तक किसान आंदोलन को बचाने और चलाने वाले राकेश टिकैत ने घोषणा की है कि अब दो अक्तूबर का समय सरकार को दे रहे हैं कानून वापसी के लिए । यह आंदोलन गांधी जयंती दो अक्तूबर तक जरूर चलायेंगे और सरकार पूरा समय ले फैसले करने के लिए । कोई जल्दबाजी नहीं । बिना कोई फैसला करवाये किसान खाली हाथ लौटने वाले नहीं । टिकैत ने यह भी कहा कि सरकार ने जितनी कीलें लगाई हैं न , जब तक सारी निकाल नहीं देते तब तक वापस नहीं जाने वाले हम । यह अल्टीमेटम बहुत कुछ कहता है किसान आंदोलन के बारे में । यानी सरकार यह न सोचे कि आंदोलन लम्बा खींच लेने से किसान आपने आप थक हार कर वापस चले जायेंगे । यह भ्रम न पाले सरकार । दूसरे होल्ड करने की रट ही न लगाये । पुरानी पेशकश कब तक दोहराते रहेंगे प्रधानमंत्री व कृषि मंत्री जी ? थोड़ा समय की नज़ाकत समझिए और समस्या को हल न कर सको तो बढ़ाते क्यों जा रहे हो ? सरकार की यह भी सोच है कि आंदोलन लम्बा खिंचेगा तो आसपास के लोग ही इसका विरोध करने लगेंगे । इसकी आड़ में लोकल के नाम पर हमले भी किसानों पर करवाये । ये कदम आंदोलन को और ज़ोर प्रदान करते जा रहे हैं । सबसे बड़ा कदम तो बातचीत ही है । बातचीत के द्वार खोलने पड़ेंगे सरकार को । बिना बात के हल न होगा । ये दूरियां , नजदीकियों में बदलनी चाहिएं , सरकार । 

 

किसान आंदोलन अपनी जगह और रामसरूप किसान की बरसों पहली लिखी कविता का अपना महत्त्व 
#अन्नदाता 
मैं नहीं अन्नदाता 
मुझे दिया यह नाम/सम्मान
वापस ले लो अपना 
दाता तो आप हो 
हर शै के दाता
ज़िंदगी ही नहीं 
मौत के भी दाता 
मैं तो 
ज़िंदगी और मौत के बीच 
पिसती कोई शै हूं 
बंजर भूमि में 
हमारे हल से निकाली क्यारियों में तो 
सदियों से कर्ज ही पैदा हो रहा है 
अन्न तो आपकी संगमरमरी 
कोठियों में उगता है 
आप हो अन्नदाता 
अन्न तो है एक मज़ाक 
तभी तो इस वर्ष आपने
हमारे साथ किया 
यह अपमानजनक मज़ाक 
कर दिया हमारा कर्ज माफ
आप हो अन्नदाता 
कर सकते हो 
अपमानजनक मज़ाक 
आपकी हिफाजत में मरने वाले के शव पर 
शहीदी चिट चेप कर
जाम कर सकते हो 
उसकी विधवा के आंसू जाम कर सकते हो 
और कर सकते हो 
और क्या क्या  
अगर हम खेतों में 
अन्न पैदा करने का 
जोखिम उठायें 
जरा बताइए हुजूर ,,,,