अपार संभावनाओं को व्यक्त करती उपेन्द्र यादव की पुस्तक (काव्य संग्रह) `एक मुश्किल समय में' 

अपार संभावनाओं को व्यक्त करती उपेन्द्र यादव की पुस्तक (काव्य संग्रह) `एक मुश्किल समय में' 

उपेन्द्र यादव के नवप्रकाशित काव्य `एक मुश्किल समय में' में 75 कविताओं का संग्रह है। डॉ धर्मपाल साहिल ने इन कविताओं को एक प्रगतिशील कवि की कविताओं की संज्ञा दी है जबकि सागर सियालकोटी का कहना है कि उपेन्द्र यादव अभी पहली सीढ़ी पर हैं।  जब आखिरी पायदान पर पहुंचेंगे तो यकीनन साहित्य जगत को बहुत कुछ नया दे जायेंगे। खैर, हरेक का अपना-अपना मत है। इस बात का अंतिम निर्णय तो स्वयं पाठक के पास है कि वह कवि की रचनाओं को किस नज़र से देखता है। लेकिन, इतना अवश्य है कि कवि ने विभिन्न मुद्दों, विचारों, भावनाओं इत्यादि पर कलम चलाने का पूरा-पूरा प्रयास किया है।  
कई जगह कवि मानव और मानवता की बात करता दिखाई देता है।  
"दुनिया का सिरमौर बना मानव 
आज अपनी ही `खोज' में बिलबिला रहा है 
और उसे खुद के बचने का कोई रास्ता नहीं दिख रहा है"
(कविता:जोशीमठ दरक रहा है)
ईश्वर के नाम पर आज दुनिया में जो गोरखधंधा चल रहा है, उससे भी कवि का मन विचलित दिखाई देता है।  वह लिखता है:
"क्या दुनिया का सबसे झूठा शब्द है `ईश्वर'
जिसके नाम पर कार्य-व्यापार चल रहा है"
(कविता: कहाँ है ईश्वर)
वर्तमान में लोगों को जिस तरह मुफ्त की लत लगने लगी है, उस पर भी कवि ने अपने विचार व्यक्त करते हुए लिखा है:
"जनता सिर्फ़ भीड़ का हिस्सा बन कर रह गई है 
जो हर विकास के कार्यों में बाधा है 
काम कुछ नहीं और मुफ़्त का सब को चाहिए"
(कविता:जनता की जवाबदेही)
कवि ने एक कड़वा सत्य बयान करते हुए लिखा है:
"ये आज के समय का 
एक गम्भीर और कड़वा सच है 
`लोकतन्त्र' आजाद भारत का सबसे बड़ा धोखा है 
जहाँ आवाज उठाना देशद्रोही हो जाता है"  
(कविता: एक मुश्किल समय में)
इस तरह इस काव्य रचना में कवि की विचारधारा बाग़ी दिखाई देती है। अन्यथा वह लोकतन्त्र को आजाद भारत का सबसे बड़ा धोखा करार न देता। लेकिन, बाग़ीपन के इस रुख के पीछे एक बड़ा कारण है। कवि इसी काव्य रचना में उसका उल्लेख भी विस्तारपूरक करता है। इसी कड़ी में कवि अपनी एक अन्य काव्य रचना "हर घर तिरंगा" में लिखता है:
"कितना आसान है ना 
देशभक्ति के नाम पर 
आपको शब्दहीन कर देना .."
कवि ने अपनी काव्य रचनाओं में कई ज्वलंत मुद्दों पर काव्यात्मक रूप में अपने विचार व्यक्त किये हैं, जिनके द्वारा कई सवाल उठाए गए हैं। स्त्री, स्त्री मन,प्रेम -प्यार को भी अपनी काव्य रचनाओं का मुद्दा बनाया है। कवि ने मां पर भी कुछ एक काव्य रचनाएं लिखी हैं। कवि ने पुस्तक को अपनी मां को समर्पित किया है। कवि लिखता है:
"माँ 
तुम्हारा होना ही 
हमें ख़ुशी से भर देता है 
तुम्हारी उपस्थिति से ही 
ज़िंदगी ख़ुशगवार हो जाती है"
(कविता:माँ का होना)
पुस्तक के प्रकाशक साहित्य 24 पब्लिकेशन, नई दिल्ली हैं और पुस्तक का मूल्य 399/- रूपए है। 
पुस्तक पढ़ कर इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि कवि के लिए भविष्य में अपार संभावनाएं हैं। इस पुस्तक के लिए लेखक को हार्दिक बधाई।  
-मनोज धीमान।