दिव्यांगजन को समाज में बराबरी का स्थान दिलाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जरूरीः आईएएस राजेश अग्रवाल

नेशनल सिम्पोजियम में वक्ताओं ने किया दिव्यांगजन को शिक्षा व कौशल से समर्थ करने का आह्वान।

दिव्यांगजन को समाज में बराबरी का स्थान दिलाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जरूरीः आईएएस राजेश अग्रवाल

रोहतक, गिरीश सैनी। समाज में दिव्यांगजन को बराबरी का दर्जा सुनिश्चित करने तथा उनको शिक्षा और कौशल से समर्थ करने का आह्वान सोमवार को आयोजित नेशनल सिम्पोजियम में आमंत्रित वक्ताओं ने किया।

नर्चरिंग लीडरशिप ऑफ पर्सन्स विद डिसेबिलिटी फॉर एन इंक्लूसिव एंड सस्टेनेबल फ्यूचर विषयक इस राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज ने डीन स्टूडेंट वेलफेयर के संयुक्त तत्वावधान में किया। एमडीयू की एनएसएस, वाईआरसी तथा स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ रिहैबिलिटेशन ट्रेनिंग एंड रिसर्च (सिरतार) के सहयोग से ये संगोष्ठी आयोजित की गई।

इस नेशनल सिम्पोजियम के उद्घाटन सत्र में भारत सरकार के दिव्यांगजन विभाग, सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के सचिव राजेश अग्रवाल आईएएस ने कहा कि दिव्यांगजन को समाज में बराबरी का स्थान दिलाने के लिए टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल जरूरी है। उन्होंने कहा कि एसिस्टेड टेक्नोलॉजी से दिव्यांगजन के जीवन को बेहतर बनाया जा सकता है।

राजेश अग्रवाल ने कहा कि समावेशी शिक्षा समय की जरूरत है। उन्होंने बताया कि भारत सरकार ने भारतीय सांकेतिक भाषा को प्रोत्साहन देते हुए डीटीएच चैनल भी प्रारंभ किया है। उन्होंने कहा कि दिव्यांग समुदाय के बच्चों को बराबरी के मौके सुनिश्चित करने की पुरजोर वकालत की।

इस सिम्पोजियम की अध्यक्षता करते हुए भारतीय पुनर्वास परिषद (आरसीआई) की अध्यक्षा डा. शरणजीत कौर ने कहा कि दिव्यांगजन को समावेशी शिक्षा सुनिश्चित करने में महिलाओं की महती भूमिका है। उन्होंने कहा कि दिव्यांगजन को समय पर शिक्षा, रोजगार का अवसर दिलाना होगा। डा. शरणजीत कौर ने एम्प्लॉयबिलिटी स्किल्स पर विशेष ध्यान देने की सलाह दी और डिग्निटी नॉट चैरिटी का मॉडल अपनाने का आह्वान किया।

कुलपति प्रो. राजबीर सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि दिव्यांगजन का न केवल मुख्यधारा में समावेश करना जरूरी है, बल्कि समाज में उनको लीडरशिप के लिए भी तैयार करना होगा। कुलपति ने कहा कि एमडीयू में सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज की स्थापना कर सांकेतिक भाषा शिक्षण, प्रशिक्षण के जरिए मूक-बधिर जन का सशक्तिकरण सुनिश्चित किया जा रहा है।

बतौर मुख्य वक्ता भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान, रूडक़ी की डिजाइन विभाग की सहायक प्रोफेसर डा. सोनल आत्रेय ने कहा कि न केवल क्लासरूम्स को इन्कलूसिव बनाया जाए, बल्कि संपूर्ण स्कूल, कालेज, यूनिवर्सिटी कैंपस को दिव्यांगजन के लिए एक्सीसीबल तथा इनक्लूसिव बनाए जाने की जरूरत है। उन्होंने अपनी व्यक्तिगत जीवन यात्रा के उल्लेख से दिव्यांगजन के लिए जीवन में आने वाली कठिनाइयों का वर्णन किया। इन सबके बावजूद स्काई इज दी लिमिट का मंत्र सोनल आत्रेय ने दिया।

डीन, एकेडमिक अफेयर्स प्रो. ए.एस. मान ने स्वागत भाषण दिया। चीफ कंसल्टेंट सीडीएस प्रो. राधेश्याम ने सिम्पोजियम की थीम पर प्रकाश डाला। आभार प्रदर्शन डीन, स्टूडेंट वेलफेयर प्रो. रणदीप राणा ने किया। निदेशक आईएचटीएम प्रो. आशीष दहिया ने अपने संबोधन में एमडीयू द्वारा डैफेटेरिया प्रोजेक्ट के जरिए मूक-बधिर जन के सशक्तिकरण की पहल बारे जानकारी दी। इस अवसर पर डैफेटेरिया की वेबसाइट को भी लांच किया गया।

उद्घाटन सत्र में मंच संचालन निदेशिका सीसीपीसी प्रो. दिव्या मल्हान ने किया। मनोविज्ञान विभाग की छात्रा आरती ने कविता प्रस्तुत कर दिव्यांगजन की मनोदशा का वर्णन किया। सीडीएस के विद्यार्थियों ने-सुनो गौर से दुनिया वालों गीत पर  सांकेतिक भाषा में शानदार प्रस्तुति दी। मुख्यातिथि आईएएस राजेश अग्रवाल ने विभिन्न क्षेत्र में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले दिव्यांग विद्यार्थियों को पुरस्कृत किया।

इस कार्यक्रम में चौ. बंसीलाल विवि, भिवानी की कुलपति प्रो. दीप्ति धर्माणी तथा नेशनल एसोसिएशन ऑफ द डेफ के राष्ट्रीय अध्यक्ष ए.एस. नारायणन बतौर विशिष्ट अतिथि उपस्थित रहे। नेशनल सिम्पोजियम के तकनीकी सत्र में डा. सुरेन्द्र कौर, डा. लोकेश बल्हारा, अरूण सी राव, डा. संजय कुमार, राहुल गंभीर, पल्लवी कुलश्रेष्ठ तथा रोहित भाखर ने बतौर रिसोर्स पर्सन्स विचार साझा किए।

सेंटर फॉर डिसेबिलिटी स्टडीज की प्रभारी डा. प्रतिमा देवी ने कार्यक्रम समन्वयन किया। निदेशक युवा कल्याण डा. प्रताप राठी, सिरतार के निदेशक डा. ए.डी.पासवान, वाईआरसी प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर प्रो. अंजू धीमान, एनएसएस प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर डा. सविता राठी आयोजन-समन्वयन सहयोगी रहे।