वाराणसी या अब वायनाड? 

वाराणसी या अब वायनाड? 

-*कमलेश भारतीय
कांग्रेस व इंडिया गठबंधन की ओर से उत्तर प्रदेश के और खासकर पूर्वांचल के मतदाताओं का आभार करते राहुल गांधी ने बड़ी बात कही कि यदि प्रियंका गांधी वाराणसी से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सामने चुनाव मैदान में उतरती तो वह भी दो तीन लाख वोटों से जीत जाती। ऐसा मूड था पूर्वांचल का। प्रधानमंत्री बड़ी मुश्किल से जीत कर निकले हैं वाराणसी से।  मतदाताओं ने मोहब्बत की दुकान को स्वीकार किया और नफरत की बात करने वाले को नकार दिया। इसका मतलब यह हुआ कि असल में कांग्रेस या इंडिया गठबंधन को भी अंडर करंट का पता नहीं लगा कि कितना गुस्सा बुलडोजर बाबा पर और उनकी सरकार पर है और मौका मिलते ही वोट की चोट करने में संकोच नहीं किया। उत्तर प्रदेश वह राज्य है, जहां से प्रधानमंत्री बनने का रास्ता निकलता रहा है और भाजपा 85 में से 80 लोकसभा सीटें जीतती रही है। ‌इस बार अमेठी से स्मृति ईरानी को भी हार का मुंह देखना पड़ा, जो कहती थीं कि मैंने राहुल गांधी को यहां से भगा दिया। गोदी मीडिया भी यह प्रचारित करने में पीछे न रहा जब सोशल मीडिया पर वायरल होने लगा कि अमेठी की दुकान बंद हो गयी है और रायबरेली की बंद होने वाली है। इतना अहंकार।  इतना घमंड? यह जो जनता है न, यह सबका अहंकार तोड़ देती है और तोड़कर दिखाया भी।  कभी इंदिरा गांधी को तो अब स्मृति ईरानी और मेनका गांधी को।  मेनका गांधी पहली बार पराजित हुई हैं और इस बार बेटा वरूण तो भाई बहन के साथ जाना चाहता था लेकिन मेनका पुराने ज़ख्म भूलने को तैयार नहीं थीं।  नहीं तो वरूण कांग्रेस से चुनाव लड़ते दिखाई देते। क्या अब घर वापसी पर मेनका विचार करेंगीं या नहीं ? कह नहीं सकते। अधीर रंजन चौधरी को पश्चिमी बंगाल में क्रिकेटर यूसुफ पठान ने हरा दिया। अधीर ने बयान दिया था कि यदि यूसुफ ने उसे हरा दिया तो वे राजनीति से संन्यास ले लेगे।  अभी तक ऐसी कोई खबर आई नहीं।  न राजनेता संन्यास लेते। सब कहने की बातें हैं।  
क्या अब प्रियंका गांधी को अपनी खाली की जा रही वायनाड की सीट से चुनाव लड़ने के लिए कह सकते हैं? वायनाड के लोग नाराज़ भी नहीं होंगे इस फैसले से। गांधी परिवार से जुड़े रहेंगे और प्रियंका भी संसद में पहुंच जायेगी। यही नहीं इंडिया गठबंधन की सीटें भी नहीं घटेंगीं।  फैसला तो कांग्रेस ने करना है, हम कौन‌‌? फिर  भी वाराणसी नहीं तो न सही, वायनाड ही सही।  
-*पूर्व उपाध्यक्ष,  हरियाणा ग्रंथ अकादमी।