भारत बंद के तहत लुधियाना के संगठनों द्वारा समराला चौक पर रोष प्रदर्शन

संगठनों ने कहा, लोग फासीवादी मोदी हुकूमत की अड़ियल रवैया तोड़कर ही दम लेंगे

भारत बंद के तहत लुधियाना के संगठनों द्वारा समराला चौक पर रोष प्रदर्शन

लुधियाना: आज लुधियाना के मज़दूरों, नौजवानों व अन्य तबकों के संगठनों ने कृषि कानूनों के खिलाफ़ भारत बंद के तहत समराला चौक पर रोष प्रदर्शन किया। संगठनों ने देश भर में जारी संघर्ष के साथ, दिल्ली बार्डर पर बैठे लाखों संघर्षशील किसानों, मज़दूरों, नौजवानों के साथ एकजुटता व्यक्त की। संगठनों ने कहा है कि कृषि कानूनों में किसी भी प्रकार के संशोधन से काम नहीं चलेगा। सरकार को ये घोर जनविरोधी कानून पूरी तरह रद्द करने होंगे।

रोष प्रदर्शन को टेक्सटाइल हौज़री कामगार यूनियन के राजविंदर, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन के विजय नारायण, जमहूरी अधिकार सभा के प्रो. जगमोहन, मोल्डर एंड स्टील वर्कर्ज यूनियन के हरजिंदर सिंह, नौजवान भारत सभा के नवजोत, कारखाना मज़दूर यूनियन के लखविंदर, लोक एकता संगठन के शेर बहादुर व तर्कशील सोसाइटी के मासटर रजिंदर जंडिआली आदि ने संबोधित किया। इस दौरान इलाके में पैदल मार्च भी किया गया। संगठनों ने कृषि कानूनों को रद्द करने की माँग के साथ ही न्यूनतम वेतन, आठ घंटे कार्यदिवस, संगठित संघर्ष आदि अधिकारों का हनन करने वाले श्रम कानून संशोधनों को रद्द करने, बिजली संशोधन कानून रद्द करने, सरकारी संस्थानों-सहूलतों के निजीकरण की नीति रद्द करने आदि माँगों के लिए भी ज़ोरदार आवाज़ बुलंद की।

संगठनों का कहना है कि कृषि कानून सभी मेहनतकश लोगों के खिलाफ़ हैं। मोदी हुकूमत के नए कृषि कानून अनाज की जमाखोरी, काला बाज़ारी, मंहगाई को बढ़ावा देंगे; सरकारी राशन वितरण प्रणाली को खत्म करेंगे, करोड़ों गरीबों को भुखमरी-गरीबी के गड्ढे में और गहरा धकेलेंगे; एफसीआई जैसे सरकारी संस्थानों का निजीकरण और खात्मा करेंगे, इनके कर्मचारियों की छंटनी, वेतन-भत्तों की कटौती का कारण बनेंगें; गरीब किसानों को कंपनियों से ठेका विवादों में अदालत जाने का हक नहीं देते; ये कानून राज्यों की खुदमुख्तियारी पर हमला हैं। इन तमाम कारणों से मज़दूरों व गरीब किसानों समेत तमाम मेहनतकश जनता को इन कृषि कानूनों का डटकर विरोध करना चाहिए। मोदी हुकूमत देश भर में उठी जन अवाज़ और दिल्ली बार्डर पर बैठे लाखों किसानों व अन्य मेहनतकश लोगों की आवाज़ अनसुनी कर रही है। एक तरफ बातचीत का ड्रामा किया जा रहा है और दूसरी तरफ़ दमन की तैयारी भी की जा रही है। संगठनों का कहना है कि लोग फासीवादी मोदी हुकूमत की अड़ियल रवैया तोड़कर ही दम लेंगे।