लघुकथा/मां का दर्द/वीना रेखी
माँ दिवस पर
मेरे पिताजी फ़ौज में थे । उनका तबादला होता रहता था। मेरी पढ़ाई खराब ना हो इसलिए मुझे हॉस्टल में पढ़ने भेज दिया गया । जब भी मैं छुट्टियों के बाद हॉस्टल जाने लगती तो मां की आंखों में आंसू पाती। मुझे समझ ही नहीं आता था कि मां ऐसा क्यों करती है। खैर यह सिलसिला चलता रहा। मेरी पढ़ाई पूरी हुई शादी हो गई और मां भी बन गई। लेकिन जब पहली बार मेरा बेटा किसी कार्य वश दूसरे शहर जाने लगा तो अनायास ही मेरी आंखों में आंसू आ गए मैं हैरान अपने आंसुओं पर......
यकायक मां के आंसू याद आ गए। उस दिन पहली बार मुझे मां के दर्द का दर्द महसूस हुआ। मां क्या है। यह आप मां बनने के बाद ही जान पाते हो। मां एक ऐसा अटूट रिश्ता है, जिसके बिना आपका कोई अस्तित्व ही नहीं है।
हैप्पी मदर्स डे।