श्रेष्ठ संस्कृति, भारतीय परंपरा व मूल्य आधारित जीवन की धारणा है विक्रमी संवतः प्रांत प्रचारक डॉ. सुरेंद्र पाल
जीयू में हिन्दू नव वर्ष उत्सव आयोजित।

गुरुग्राम, गिरीश सैनी। चैत्र शुक्ल प्रतिपदा से प्रारंभ हो रहा विक्रमी संवत 2082 केवल एक तिथि नहीं है, बल्कि यह एक श्रेष्ठ संस्कृति, भारतीय परंपरा व मूल्य आधारित जीवन की धारणा है। भारतीय ऋषियों ने विज्ञान आधारित गणना के आधार पर भारतीय नव वर्ष का निर्धारण किया है, जिसके प्रारंभ होते ही प्रकृति, सृष्टि से लेकर खेत खलियान और आम जन जीवन में नव सृजन का शंखनाद होता दिखाई देता है। यह उद्गार राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक डॉ. सुरेंद्र पाल ने गुरुग्राम विवि एवं वसुधैव संस्कृति सहयोग फाउंडेशन के तत्वावधान में भारतीय नव वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित समारोह में बतौर मुख्य वक्ता व्यक्त किए।
आरएसएस प्रान्त प्रचारक डॉ सुरेंद्र पाल ने भारतीय नव वर्ष पर प्रकाश डालते हुए कहा कि श्रीराम व महाराज युधिष्टर का राज्याभिषेक भी इसी दिन हुआ था। भगवान ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना चैत्र शुल्क प्रतिपदा को ही की गई थी। आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद ने आर्य समाज की स्थापना भी इसी दिन की। नवरात्रों का प्रारंभ भी इसी दिन होता है। आरएसएस संस्थापक डॉ केशव राम बलिराम हेडगेवार का जन्म भी इसी पावन दिवस पर हुआ।
मुख्य वक्ता डॉ सुरेंद्र पाल ने उपस्थित जन का आह्वान किया कि आरएसएस स्थापना के शताब्दी वर्ष में सम्पूर्ण समाज के साथ पांच विषय पर कार्य करने का संकल्प लिया। सामाजिक समरसता, पर्यावरण संरक्षण, नागरिक कर्तव्य, स्वदेशी जीवन शैली व मूल्य आधारित परिवार की संरचना पर सम्पूर्ण समाज को एक निष्ठ होकर कार्य करने की आवश्यकता है।
इस दौरान जीयू कुलपति प्रो सुशील कुमार तोमर, प्रान्त कार्यवाहक प्रताप, डॉ अशोक दिवाकर, रामगोपाल धानुका, कृष्ण सिंगला, कमलेश अग्रवाल, कुलसचिव डॉ राजीव कुमार सिंह, भारतीय ज्ञान एवं भाषा विभागाध्यक्ष प्रो राकेश कुमार योगी सहित अन्य अधिकारी एवं प्राध्यापक मौजूद रहे।
इस हिन्दू नव वर्ष उत्सव में भारत के विभिन्न राज्यों के कलाकारों द्वारा मनमोहक सांस्कृतिक कार्यक्रम पेश किए गए। जाने माने कलाकारों सिद्धार्थ मोहन और रैप्परिया बालम आदि ने भी लोगों का भरपूर मनोरंजन किया। सांस्कृतिक कार्यक्रमों में पूर्व से पश्चिम, उत्तर से दक्षिण तक एक लघु भारत जीवंत हो उठा।