विनेश ने लिया कुश्ती से संन्यास
विनेश फौगाट के अयोग्य होने पर हाहाकार
-*कमलेश भारतीय
जो विनेश फौगाट पचास किलोग्राम वर्ग में गोल्ड या सिल्वर की लड़ाई तक पहुंच गयी थी, वही विनेश फौगाट एकाएक सौ ग्राम वजन बढ़ जाने से अयोग्य करार दी गयी और यह खबर देश में फैलते ही हाहाकार मच गया ! किसी ने नियमों को, किसी ने स्पोर्टिंग स्टाफ को, किसी ने राजनीति और किसी ने साजिश करार देकर इसे खूब कोसा ! विनेश रात भर अपना वजन कम करने के लिए हर कोशिश करती नज़रें आई -बाल तक कटवा लिये, खून तक निकाला और पेडलिंग की, यहां तक कि उल्टी भी की लेकिन वजन ऐसा टिका कि कम होने का नाम ही नहीं लिया और यह सौ ग्राम उसके मेडल पर, उसके करियर पर, भविष्य पर बहुत भारी पड़ गया है ! विनेश डिप्रेशन में चली गयी और उसे अस्पताल ले जाना पड़ा! आखिर आज उसने कुश्ती से संन्यास लेते लिखा-मां, कुश्ती मेरे से जीत गयी ! मां, मैं कुश्ती से हार गयी!!
कहते हैं कि भारतीय कुश्ती संघ के पूर्व अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह का चहेता स्टाफ विनेश फौगाट के साथ था । यह मत भूलिये कि विनेश ने बृजभूषण शरण सिंह के कथित यौन शोषण के खिलाफ दिल्ली के जंतरमंतर पर लम्बा धरना दिया था और पुलिस की मारपीट के बावजूद तिरंगा उठाये रही थी। वही तिरंगा, जिसे ओलम्पिक में भी लहराने वाली थी । एक ऐसी पोस्ट देखने को मिल रही है जिसमें विनेश स्पोर्टिंग स्टाफ पर डोप टेस्ट में फंसाने जैसी आशंका जाहिर कर रही है, वह भी ओलम्पिक से पहले। क्या वह सचमुच किसी गहरी साजिश का शिकार हो गयी? क्या इसके पीछे राजनीति है या सिर्फ ओलम्पिक के नियम ही इसके लिए सीधे सीधे जिम्मेदार ठहराये जा सकते हैं? आखिर स्पोर्टिंग स्टाफ और कोच क्या कर रहे थे? यह भी कहा जा रहा है कि यदि कोच विनेश फौगाट को घायल ही घोषित कर देते तो कम से कम वह रजत पदक की हकदार तो हो जाती पर समय रहते विनेश को घायल भी करार नहीं दिया, जिससे वह तालिका में नियमानुसार सबसे नीचे पहुंच गयी। यह सांप सीढ़ी जैसा खेल रहा जब टाॅप पर पहुंची तब धड़ाम से नीचे आ गिरी !
विनेश ने एक दिन पहले ही तीन तीन मुकाबले जीते और उसका वजन भी सही था लेकिन जीत की रात ऐसी क्या बात हुई कि वजन बढ़ गया? जो भी हो, सारा देश देख रहा है कि ओलम्पिक दल विनेश के हक की लड़ाई लड़ता है या नहीं?
हरियाणा की बेटी मनु भाकर ने ही ओलम्पिक में भारत का खाता खोला, विनेश ने भी पहले दिन तीन तीन मैच जीते और नीरज चोपड़ा से भी आस है। फिर भी हरियाणा की पहलवान की कोई पैरवी नहीं, परवाह नहीं? सिर्फ आंकड़े कि इतने लाख रुपये विनेश पर खर्च किये गये? क्या और खिलाड़ियों पर खर्च नहीं किये? एक ऐसी लड़की, जिसने भारी विरोध के बावजूद अखाड़े में छोटे कपड़े पहनने के इल्जाम सहे, जिसकी मा़ं बीमार है और फिर भी उसके हौंसला आसमान छूने का है! यही ज़ज़्बा, यही हौंसला, यही जोश, यही जोश विनेश की पहचान है। हारी नहीं विनेश, तुम तो गोल्डन गर्ल ही हो इस भारत माता की! पूरे देश ने तुम्हें गोल्डन गर्ल ही कह दिया है, मान लिया है। अब उसी हौंसले के साथ लौट आओ, हम तुम्हारे स्वागत् में पलक पांवड़े बिछाये खड़े हैं! लानत है उन पर यदि कोई साजिश किसी ने की है, लानत है उन पर जो तुम्हारी कोशिश का मज़ाक बना रहे हैं। तुम सा नहीं कोई विनेश !! दुख है तो इस बात का, शायर की नज़र में :
वो कौन हैं फूलों की हिफ़ाज़त नहीं करते
सुनते हैं जो ख़ुशबू से मोहब्बत नहीं करते !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।