समाचार विश्लेषण/अन्ना हजारे के अनशन का इंतज़ार
-कमलेश भारतीय
कांग्रेस के शासनकाल में महात्मा गांधी के अनुयायी व समाजसेवी अन्ना हजारे ने दिल्ली आकर इसकी विफलताओं पर अनशन किया और मीडिया इनका साया बन कर संग संग चलता रहा । याद है वो राजघाट पर जाकर मौन व्रत और हम देख रहे हैं जैसे कोई देवदूत धरती पर उतर आया हो ।
अब पिछले लगभग सत्तर दिनों से किसान तीन कृषि कानूनों के खिलाफ दिल्ली की सीमाओं पर चारों ओर धरने दिये बैठे हैं और महात्मा गांधी की पुण्यतिथि पर एक दिन का उपवास भी रखा । आप कहां थे अन्ना हजारे जी ? हमारे देवदूत । हमारे आधुनिक युग के गांधी जी । किसानों ने बहुत याद किया आपको । यानी युवा पीढ़ी की भाषा में कहें कि मिस यू अन्ना जी वेरी मच । आपकी फोटो मात्र देख कर दिल बहुत श्रद्धा से भर जाता है लेकिन आपकी श्रद्धा कहां गयी ? किसानों पर लाठीचार्ज , अश्रु गैस और उनके शिविरों पर हो रहे हमलों को देख कर आपका दिल रोता नहीं ? आपको इनकी सुध लेने का ध्यान नहीं आता ? तभी तो कह रहे हैं हरियाणा में कि अन्ना जी किसानों के लिए उपवास कब करोगे? बांगर के किसान पूछ रहे हैं आपसे कि हमारे लिए कब कर रहे हो अनशन अन्ना जी ? कहां हैं आप ? आपके गांव का नाम रालेघन सिद्धि ही है न ? आप वहीं रहते हैं न ? वहां तक क्या हमारी आवाज़ आप तक पहुंच रही है ? पहुंच रही है तो जवाब दीजिएगा माननीय अन्ना जी । बांगर के लोग पूछ रहे हैं आपसे कि किसके दवाब में आकर आपने अभी तक किसानों के पक्ष में अनशन नहीं किया ? इसकी याद दिलाने के लिए किसानों ने समाजसेवी अन्ना हजारे को चिट्ठी लिखी है ।
इधर हमारे बरवाला के पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया के दामाद संजीव कुमार को पैरोल के बाद गायब होने के लगभग दो वर्ष बाद मेरठ से गिरफ्तार कर लिया है । रेलूराम पूनिया के परिवार के आठ सदस्यों की निर्मम हत्या उन्हीं की बेटी सोनिया के साथ मिल कर करने वाले संजीव को अब जीवन इतना प्यारा कैसे लगने लगा जिसने सिर्फ डेढ़ माह की बच्ची पर भी रहम नहीं किया था । इस जघन्य कांड के कारण इन पता पत्नी को फांसी की सज़ा तक सुनाई गयी और ये राष्ट्रपति तक गुहार लगा चुके कि हमारा बेटा बहुत छोटा है और वह डेढ़ माह की बच्ची कितनी बड़ी थी जिसको कंस की तरह पटक पटक कर मारा था ? इस जघन्य कांड की कवरेज करने बहुत बार गांव जाना हुआ। आखिर पैसे की हवस में अपने ही परिवार के आठ लोगों को मौत के घाट उतार दिया ?छोटी बहन पम्मा को तो विद्या देवी जिंदल स्कूल से लेती आई ताकि कोई वारिस बच न सके । आखिर वही कोठी गवाह बनी , जहां सभी परिवारजन अग्नि को सुपुर्द किये गये । बहुत बड़ा सबक कि लालच बुरी बला । न माया मिली न राम । हे राम।