समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करता रहूं, बस इतनी सी इच्छा: अशोक गर्ग
सन् 2003 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एचसीएस बने। अब आईएएस हैं।
-कमलेश भारतीय
समाज के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करता रह सकूं , इतनी सी इच्छा है । यह कहना है हिसार नगर निगम आयुक्त अशोक गर्ग का । इससे पहले वे हिसार के एडीसी तथा सिरसा व फरीदाबाद के डीसी के पद पर भी सेवाएं दे चुके हैं ।
मूल रूप से नरवाना के निकट गांव धरोदी निवासी अशोक गर्ग की मैट्रिक नरवाना से, तो डीएन काॅलेज हिसार से प्रेप और डी ए वी काॅलेज , चंडीगढ़ से प्रि इंजीनियरिंग हुई । फिर वे फरीदाबाद वाईएमसीए में इंजीनियरिंग करने गये लेकिन एक साल बाद माता के स्वास्थ्य कारणों से बीच में पढ़ाई छोड़ कर नरवाना लौट आए और गवर्नमेंट काॅलेज में ग्रेजुएशन (बी.ए.)की । एसआईसी में नौकरी शुरू की और सन् 1993 में तहसीलदार चुने गये । दस साल तक केस लड़े और सन् 2003 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश से एचसीएस बने । अब आईएएस । इस इंटरव्यू के दौरान इनकी धर्मपत्नी रजनी भी मौजूद रहीं जो जुगलान के गवर्नमेंट स्कूल में जूनियर लेक्चरर हैं । इक्नाॅमिक्स में एम ए , बी एड ।
-साहित्य का शौक कब से है ?
-बचपन से ही । कहानियां/उपन्यास पढ़ता रहा हूं । यहां तक कि अपनी दो बड़ी बहनों और भाई की हिंदी की किताबों को भी चाट जाता था सारी की सारी ।
-आपको कौन कौन से लेखक प्रिय हैं?
-प्रेमचंद, मंटो , महात्मा गांधी की आत्मकथा, डा. अम्बेडकर,नेल्सन मंडेला के विचार, ओमप्रकाश बाल्मीकि और शहीद भगत सिंह के लेख और संस्मरण ।
-नगर निगम आयुक्त के तौर पर क्या प्राथमिकतायें हैं आपकी ?
-असल में अधिकारी लोगों की पहुंच में होने चाहिएं । मैं यही कोशिश कर रहा हूं । हाउसटैक्स को व्यवस्थित करने में जुटा हूं । निराश्रित पशुओं के लिए भी योजना बनाने की कोशिश । सबसे बड़ी समस्या कचरा प्रबंधन और सफाई की । डेयरी शिफ्टिंग ठीक तरीक़े से हो जाए। ये सब मेरी प्रथमिकताएं हैं । इसके अतिरिक्त पार्कों की देखभाल बढ़िया हो । गीले कचरे से खाद बनाने के लिए कम्पोस्ट प्लांट्स लगवाये हैं ।
-लक्ष्य ?
-बस । समाज में अपनी जिम्मेदारी अच्छे से निभाता रहूं ।
हमारी शुभकामनाएं अशोक गर्ग को ।