इस क्षण हम जीवित हैं यही सबसे बड़ी दौलत है
लद्दाख में एक संस्था है, महाबोधि इंटरनेशनल मेडिटेशन सेंटर, जिसका 250 एकड़ में फैला शैक्षक एवं आध्यात्मिक परिसर लेह हवाई अड्डे से करीब 20 मिनट की दूरी पर है। महाबोधि के संस्थापक, भिक्खू संघसेना, एक विश्व प्रसिद्ध बौद्ध गुरु हैं, जो विश्व शांति और सद्भाव के लिए जाने जाते हैं। देश-विदेश के लोग प्यार से उन्हें गुरुजी कहते हैं। मेरा सौभाग्य रहा कि मुझे गुरुजी के साथ यात्राएं करने और उनके कुछ मेडिटेशन कार्यक्रम अटेंड करने का अवसर मिला। इस सत्संग से मुझे कुछ अच्छी बातें सीखने को मिलीं, जैसे कि हमें हमेशा वर्तमान पल में जीना चाहिए (लिविंग इन दि प्रजेंट मोमेंट) और जो चीजें आपके वश में नहीं हैं उन्हें छोड़ देना चाहिए (लैट गो)। साथ ही, आपके आसपास जो भी घटित हो रहा है या जो कुछ भी मौजूद है, उसके प्रति जागरूकता होनी चाहिए (लिविंग विद कांशसनेस)। जीवन बहुत खूबसूरत है और हमारे इर्द गिर्द बहुत कुछ चल रहा होता है, जिसे हड़बड़ी या जल्दबाजी में हम देख या महसूस नहीं पाते हैं। मसलन, वृक्षों पर पक्षियों की हलचल, घास के बीच खिले नन्हें फूल, मंद मंद बहती पवन, फूलों और पत्तियों के रंग, सूर्योदय, सूर्यास्त अथवा चंद्रमा की चांदनी।
भिक्खू संघसेना अपने प्रात:कालीन मेडिटेशन सत्र की शुरुआत इस वाक्य से करते हैं कि जीवन बहुत ही अनिश्चित है। हम सही सलामत जागे हैं, यह ईश्वर की बहुत बड़ी कृपा है, क्योंकि जीवन में किसी भी पल कुछ भी हो सकता है। ऐसे में स्वस्थ जिंदगी हजार नियामत है। उनके इस बात में वज़न भी है। आप खुद सोचिए, क्या फरवरी 2020 से पहले किसी ने सोचा था कि कोई अदृश्य वायरस आकर पूरी दुनिया को जाम कर देगा? किसी ने कभी सोचा था कि दुनिया दो साल तक पूरी तरह से ठप हो जाएगी और हर कोई मास्क लगाकर अपना चेहरा छुपाए घूमेगा? उस परेशानी से उबरना शुरू हुए तो रूस का यूक्रेन पर सैन्य हमला हो गया। पहले भी कई देशों पर हमले होते रहे हैं, लेकिन उनका सीधा असर हमारी आपकी जिंदगी पर नहीं पड़ता था। परंतु इस बार ऐसा नहीं है। रूस हमारा वर्षोँ पुराना दोस्त रहा है और यूक्रेन भी पहले रूस (यानी सोवियत संघ) का ही एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता था। दोनों देशों की भाषा, संस्कृति एक जैसी है, वहां के निवासियों की शक्ल-सूरत एक जैसी है। दोनों देशों से हमारे शैक्षिक और व्यापारिक संबंध रहे हैं। इस नाते रूस-यूक्रेन अशांति का सीधा असर हमारी जिंदगी पर पड़ना स्वाभाविक है।
कहा जा रहा है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध जितना लंबा खिंचेगा, भारत के लिए परेशानी उतनी ही अधिक बढ़ती जाएगी। भारत रक्षा हथियारों, तेल, प्राकृतिक गैस, रासायनिक खादों आदि के लिए रूस पर निर्भर रहता आया है। उधर यूक्रेन से भी हम अपनी जरूरत की आधी से ज्यादा नेचुरल गैस खरीदते रहे हैं। यूक्रेन में भारत के करीब 20 हजार बच्चे मेडिकल की पढ़ाई कर रहे थे। पश्चिमी देशों के रूस पर आर्थिक प्रतिबंधों के कारण तेल महंगा हो गया है, जिसका सीधा असर भारत की अर्थव्यवस्था और हम सब भारतीयों की रोजमर्रा जिंदगी पर पड़ना निश्चित है। तेल महंगा होते ही बाजार की करीब करीब सभी जरूरी चीजें महंगी होने लगती हैं। तभी मैंने कहा कि हमें वर्तमान क्षण में रहना चाहिए। कल क्या हो जाए, किसको पता, अभी जिंदगी का ले लो मजा।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार व कॉलमिस्ट हैं)