हम हरियाणवी, हमारी नाॅन स्टाॅप बातें
-*कमलेश भारतीय
कुछ दिन से हर अखबार में हम हरियाणवी, हमारा नाॅन स्टाॅप विज्ञापन देखने पढ़ने को मिल रहा है और सोच रहा हूँ कि यह नाॅन स्टाॅप नाॅन स्टाॅप क्या है ? विधानसभा चुनाव में जहां कांग्रेस ने 'हरियाणा मांगे हिसाब' कार्यक्रम चलाया, वहीं भाजपा 'नाॅन स्टाॅप हरियाणा' के नारे के साथ मैदान में आई है । मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी कल म्हारे हिसार में ही थे तो समझने की कोशिश की कि यह नाॅन स्टाॅप नाॅन स्टाॅप क्या है। महसूस हुआ कि यह नाॅन स्टाॅप कांग्रेस पर, कांग्रेस के दस साल के शासन पर दे दनादन हमले हैं, आरोप हैं और 'हरियाणा मांगे हिसाब' के बराबर कांग्रेस से सवाल करने, उनके दस साल के शासन का हिसाब मांगना है। मुख्यमंत्री नायब सिंह के दे दनादन आरोप यह हैं कि पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के शासनकाल में क्षेत्रवाद, जात-पात, भाई भतीजावाद की भावना से काम होते थे। कांग्रेस के दस साल के शासन में भ्रष्टाचार, सिफारिश और खर्ची देने वालों को ही सरकारी नौकरी मिलती थी । किसानों की ज़मीनें कौड़ियों के दाम खरीदी जाती थीं और बुजुर्ग पेंशन बनवाने के लिए धक्के खाते फिरते थे । किसानों को बहुत कम मुआवजा देकर अपमानित किया गया । अब सरकार अगस्त तक पचास हज़ार युवाओं को नौकरी भी देने जा रही है। यानी युवाओं को आकर्षित करने का प्रयास भी है। यह है नाॅन स्टाॅप प्रचार, जो हर जिले में चल रहा है । इस तरह की रणनीति को ही नाॅन स्टाॅप हरियाणा का निचोड़ कहा जा सकता है । इन विज्ञापनों से मीडिया भी मालामाल हो रहा है । गदगद है।
अब ज़रा दूसरा पहलू भी देख सुन लीजिये। नेता प्रतिपक्ष व पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा इस पर चुटकी लेते मीडिया में कहते हैं कि यह पहली बार है जब सत्ताधारी दल विपक्ष से हिसाब मांग रहा है, अपना हिसाब पूछे जाने पर। यह तो वही बात हो गयी कि उल्टा चोर कोतवाल को डांटे। बताइये नौकरियों में खर्ची, सिफारिश की बात वे कह रहे हैं, जिनके राज में सूटकेस कांड सामने आये। क्षेत्रवाद की बात करते हैं तो विकास कार्य सारे राज्य में करवाये -खेदड़ में बिजली का बड़ा प्लांट, हिसार में लाला लाजपतराय विश्वविद्यालय, रोहतक में आईएमए, खानपुर कलां में महिला विश्विद्यालय तो कितने ही स्कूल काॅलेज अपग्रेड किये। खिलाड़ियों को सम्मान के साथ साथ नौकरियां देने का काम किया, फिल्म व कला के लिए सुपवा यूनिवर्सिटी बनाई और भाजपा शासनकाल में पांच हज़ार स्कूल बंद कर दिये जबकि हमने हरियाणा को शिक्षा का हॅब बनाने की कोशिश की। अब हम मांग रहे हैं हिसाब तो उल्टे हम से ही पूछ रहे हैं नाॅन स्टाॅप सवाल। बताइये, यह क्या बात हुई? खिलाड़ियों का सम्मान अब याद आया? उनको नौकरियां देने की पाॅलिसी ही खत्म कर दी और सम्मान के लिए वे पांच साल तरसते ही रह गये। महिला कोच न्याय की राह देखती रही और पुलिस स्टेशन में बयान देते रोते रोते कहने लगी कि मुझे लगता है कि शायद दोषी मैं ही हूँ।
ये है दोनों तरफ से नाॅन स्टाॅप आरोप प्रत्यारोप, जो बढ़ते भी जायेंगे और तीखे भी होते जायेंगे, जैसे जैसे चुनाव निकट आते जायेंगे। एक और अभियान चल रहा है-हमारी राजधानी, हमारा हाईकोर्ट। यह भी एक सवाल है कि हरियाणा का अपना अलग हाईकोर्ट और अपनी राजधानी कब होगी? सन् 1966 से अलग राज्य बनने के बाद से हरियाणा अपनी राजधानी और हाईकोर्ट से वंचित है।
वैसे यह एक सुखद बात है कि पक्ष और विपक्ष इस बार मुद्दों पर सामने आकर सवाल जवाब कर रहा है, जिससे जनता फैसला कर सकेगी कि कौन सच्चा, कौन झूठा। अब फैसला जनता के हाथ। अच्छा है न।
इक सवाल तुम करो
इक सवाल मैं करू़ं
हर सवाल का जवाब ही सवाल है
*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।