हमें कोरोना दुश्मन से मजबूती से लड़ना है
एक अच्छे नागरिक होने का सुबूत देना है
पूरे देश भर में लॉक डाउन चल रहा है। हर कोई चिंतित नज़र आ रहा है। देश भर में कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की संख्या निरंतर बढ़ती जा रही है। देश व राज्य सरकारें बार बार लोगों को अपील कर रही हैं कि लोग अपने अपने घरों में बने रहें। जहाँ भी हैं, जैसे भी हैं, वैसे ही थमे रहें। ताकि स्थिति पर काबू पाया जा सके। अन्यथा ऐसा ना हो कि स्थिति नियंत्रण से बाहर हो जाये और यह महामारी कम्युनिटी लेवल तक पहुँच जाए। अगर ऐसा होता है तो स्थिति बेहद खतरनाक हो जाएगी। चीन, इटली और अमेरिका में क्या हालात बने हैं, इसके बारे में सभी को मालूम है।
मगर कुछ लोग हैं कि सरकार की सलाह को मानने को तैयार ही नहीं दिख रहे हैं। अगर यह लोग सरकार की नहीं सुनेंगे तो फिर सरकार भी भला क्या कर पाएगी। बाद में सभी सरकार का ही दोष निकालेंगे। देखते ही देखते स्थिति इतनी खरतनाक बन चुकी है कि दिल्ली से लगभग पांच लाख से ज्यादा लोग दो दिन में यूपी में दाखिल हो गए हैं। ऐसा नहीं कि उन्हें रोकने के प्रयास नहीं किये गए, लेकिन लोग हैं कि अपनी ज़िद्द पर अड़े हुए हैं, अपने अपने घरों में वापस लौटने को आतुर हो रहे हैं। आखिर सरकार भी बेबस नज़र आ रही है। जनता की भावनाओं के आगे झुक रही है। भविष्य में चुनाव भी तो लड़ना है। यूपी सरकार एक हजार बसें लगाकर ऐसे लोगों को उनके गंतव्य स्थानों तक पहुंचा रही है। लोगों की भारी भीड़ को देखते हुए शुक्रवार और शनिवार की रात्रि को बसों द्वारा लोगों को उनके गंतव्य पर पहुंचाने का प्रबंध करना पड़ा। यहाँ कि उत्तर प्रदेश के मुख्य मंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं देर रात तक हालात की मॉनिटरिंग करते रहे ताकि सब कुछ ठीक ठाक हो पाए। योगी आदित्यनाथ तो अपील भी कर चुके हैं कि विभिन्न राज्यों में काम करने वाले यूपी के लोग आजीविका वाले स्थान पर ही रहें अन्यथा यात्रा उन्हें, उनके परिवार व अन्य लोगों को खतरे में डाल सकती है।
लेकिन पलायन का यह सिलसिला रुकता हुआ नज़र नहीं आ रहा है। शायद इसी वजह से यह बेहद चिंता का विष्य बना हुआ है। दिल्ली के मुख्य मंत्री अरविन्द केजरीवाल ने आज भी लोगों से अपील की है कि वे एक जगह से दूसरी जगह रवाना ना हों। उन्होंने आज अपने ट्विटर अकाउंट पर ऐसे लोगों को अपील करते हुए लिखा है -
"दिल्ली से अपने गाँव जा रहे लोगों से मेरी अपील।
कुछ लोग अपने गाँव जाने के लिए बेताब हैं। प्रधान मंत्री जी ने सबसे अपील की है कि जो जहां हैं, वहीँ रहें। मेरी भी आप सब से अपील है कि अभी आप अपने गाँव ना जाएँ, जहां हैं, वहीं रहें। क्योंकि इतनी भीड़ में आपको भी कोरोना होने का डर है। और फिर आपके माध्यम से कोरोना आपके गाँव और परिवार तक पहुँच जाएगा। देश के अलग अलग हिस्सों तक पहुंच जाएगा। उसके बाद देश को इस महामारी से बचना मुश्किल होगा।
मैं आपको आश्वस्त करता हूँ कि दिल्ली सरकार ने आपके रहने खाने का पूरा इंतज़ाम किया हुआ है। अभी देश के हिट में है कि आप अपने गाँव ना जाएँ।"
इससे पूर्व भी केजरीवाल ने एक ट्वीट करते हुए कहा था कि "आज से 1,000 राशन की दुकानों में मुफ्त राशन दिया जा रहा है। बाकी दुकानें भी अगले 2-3 दिन में खुल जाएंगी। इससे दिल्ली के लाखों परिवारों को राहत मिलेगी।" एक अन्य ट्वीट में उन्होंने लिखा कि "हमारी दिल्ली में कोई भूखा नहीं सोएगा। आज से हम 568 स्कूल और 238 शेल्टरों द्वारा रोजाना 4 लाख लोगों को भोजन खिलाने के लिए तैयार है।" एक और ट्वीट में उन्होंने लिखा कि - " आप सब से मेरी अपील है, ज़्यादा से ज़्यादा लोगों को Hunger Relief Centres के बारे में बताएं और नजदीकी सेंटर पर लोगों को पहुंचने में उनकी मदद करें।"
बात समझ से परे है कि दिल्ली से पलायन करने वाले लोग प्रधान मंत्री और मुख्य मंत्रियों की बात मानने को तैयार क्यों नहीं हैं। जब दिल्ली के मुख्य मंत्री उन्हें पूरा भरोसा दिला रहे हैं कि "हमारी दिल्ली में कोई भूखा नहीं सोएगा" तो उन्हें मुख्य मंत्री की बात पर भरोसा करना ही चाहिए। क्या अपने घरों को लौटने वाले इन लोगों को मालूम नहीं कि उनका घर लौटना कितना खतरनाक हो सकता है, ना केवल उनके लिए, उनके परिवार के लिए बल्कि अन्य लोगों के लिए भी। क्या उन्हें मालूम नहीं की देश इस समय महामारी की चपेट में है, भारी आर्थिक संकट में है। अगर स्थिति शीघ्र नियंत्रण में ना आ पाई तो कितने मूलयवान जीवन तबाह हो सकते हैं, देश को घोर मंदी का सामना करना पड़ सकता है। इसलिए यही समय है कि देश का हरेक नागरिक अपना कर्तव्य समझे और सरकार की हरेक बात को स्वीकार करे। ताकि स्थिति पर जल्द से जल्द नियंत्रण पाया जा सके।
इसके साथ साथ देश की जनता प्रधान मंत्री के उस वक्तव्य को भी स्मरण रखे जो उन्होंने देश के लोगों को सम्बोधित करते हुए कहा था कि "जान है तो जहान है"। इसलिए देश का प्रत्येक नागरिक पहले अपनी जान की परवाह करे। अगर वह जीवित है, स्वस्थ है, तभी उसके लिए इस संसार का महत्व है। वैसे भी इस समय देश में "जंग" जैसे हालात हैं। यह जंग एक ऐसे "दुश्मन" के साथ है जोकि नज़र नहीं आता। जिस तरह जंग में देश के नागरिक घरों में रहते हैं और सैनिक सीमाओं पर लड़ते हैं, उसी तरह आज आम नागरिकों को अपने घरों में रहने की आवश्यकता है। दुश्मन (कोरोना वायरस) से लड़ने के लिए डॉक्टर, नर्सेज, मीडियकर्मी, सरकारी अधिकारी व कर्मचारी अपना फ़र्ज़ बेख़ौफ़ हो कर एक "सैनिक" की भांति निभा रहे हैं। इसलिए अगर हमने अपने दुश्मन से मजबूती से जंग लड़नी है, और कामयाब होना है तो, हमें अपने घरों (जहाँ हैं, जैसे हैं) में रुक कर "दुश्मन" से जंग लड़ रहे "सैनिकों" का सहयोग करना है, और हमें एक अच्छे नागरिक होने का सुबूत देना है।
-मनोज धीमान