जो पढ़ेगा वो लिखेगा, जो लिखेगा वो बचेगा
'कहानी में जीवन, जीवन में कहानी' विषय पर वेब-संवाद
चंडीगढ़: पंजाब विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के कही अनकही विचार मंच की ओर से आज ऑनलाइन वेब-संवाद का आयोजन किया गया। जिसका विषय 'कहानी में जीवन, जीवन में कहानी' था।
इस वेब-संवाद में इलाहाबाद विश्वविद्यालय के मीडिया अध्ययन केंद्र के समन्वयक डॉ. धनंजय चोपड़ा मुख्य वक्ता थे। वह प्रसिद्ध पत्रकार, लेखक व अध्यापक हैं। उन्होंने अपने वक्तव्य में 'हाये रब्बा! बिन्द्रो मर गयी', 'करीमन जी', 'बांस का पौधा' और 'बुद्धन मियां' जैसी अपनी कहानियों का उदाहरण देते हुए कहा कि हमारे आस-पास बिखरी जिंदा कहानियां हमें न केवल अपने समय के सच को गढ़ने के लिए प्रेरित करती हैं बल्कि ज़िन्दगी को जीने के फलसफे भी सिखाती हैं। कहानी के माध्यम से हम अपने सच को साझा करते हैं जिससे वह सच सार्वभौमिक सच बनता है। उन्होंने सभी को प्रेरित करते हुए कहा कि आप सच से रूबरू हों, सच को पकड़ें और फिर सच को लिखें। उन्होंने पठन-लेखन के महत्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जो पढ़ेगा वह लिखेगा और जो लिखेगा वही बचेगा। सवाल-जवाब सत्र में एक सवाल का जवाब देते हुए उन्होंने बताया कि कहानी में कल्पना से अधिक यथार्थ को समाहित करना चाहिए। जब हम जिंदा कहानी को पढ़ेंगे तो उसमें हमें हमारे जीवन का हिस्सा मिल जाएगा।उन्होंने जीवन में कहानी के महत्व को दर्शाते हुए कहा कि अच्छी कहानी से जीवन में लय आती है।
विभागाध्यक्ष डॉ. गुरमीत सिंह ने सभी का स्वागत करते हुए कहा कि विभाग द्वारा हर शुक्रवार को विभिन्न विषयों पर कही अनकही विचार मंच द्वारा विद्वानों को वक्तव्य के लिए आमंत्रित किया जाता है।
कार्यक्रम में देश के विभिन्न हिस्सों से 50 से अधिक प्रतिभागियों ने हिस्सा लिया जिनमें कर्नाटक, हैदराबाद, दिल्ली और बरेली शामिल हैं। कार्यक्रम में प्रो. सत्यपाल सहगल, प्रो. राजेश जायसवाल एवं रमेश कटारिया शामिल रहे।