एकैडमिक्स में प्रिडैटरी, कलोन व फैक रिर्सच जर्नल्ज पर वैबीनार आयोजित

एकैडमिक्स में प्रिडैटरी, कलोन व फैक रिर्सच जर्नल्ज पर वैबीनार आयोजित
दोआबा कालेज में आयोजित वैबीनार में डॉø सुमित नरूला उपस्थिति को सम्बोधन करते हुए ।

जालन्धर: दोआबा कालेज के स्नातकोत्तर जर्नालिज्म एवं मासक्मुयूनिकेशन विभाग द्वारा कालेज के आईक्यूएसी के सहयोग से डीकल्टङ्क्षरग द कल्टर-फैक, प्रिडैटरी व कलोंड जर्नल्ज इन एकैडमिक्स विषय पर वैबीनार का ओयजन किया गया जिसमें डॉø सुमित नरूला- एमआईटी स्कूल ऑफ कम्यूनिकेशन एवं डायरैक्टर, एमआईटी यूनिवर्सिटी, गवालियर बतौर रिसोर्स पर्सन उपस्थित हुए जिनका हार्दिक अभिनन्दन प्रिं. डॉø नरेश कुमार धीमान, प्रो. संदीप चाहल-संयोजन आईक्यूएसी, डॉø सिमरन सिद्धू- विभागाध्यक्षा,प्राध्यापकों और विद्यार्थियों ने किया ।  डॉø सुमित नरूला ने फैक, कलोंड व प्रिडैटरी जर्नल्ज के बारे में उपस्थित 89 पार्टिसीपैंटस को प्रैक्टिकल ट्रैनिग व उदाहरण देते हुए बताया कि आम तौर पर कलोंड जर्नल्ज की वैबसाईड को कैसे इंटरनेट टूल्ज की सहायता से कैसे पहचाना जाता है जिसमें साधारणता स्कोपस लिंक्स, यूजीसी केयरलिस्ट, बिबलीयोमैट्रिक टूल्ज, डिजीटल ऑबजैक्ट, आईडैंटीफायरस तथा ओरसिड आईडी आदि की सहायता ली जाती है ।  डॉø सुमित ने इन फैक, कलोंड व प्रिडैटरी जर्नल्ज को पकडऩे हेतु जर्नल्ज मैट्रिसज के अन्तर्गत पहचान चिन्ह बताते हुए कहा कि ऐेसे जर्नल्ज में रिर्सच पेपर सबमिट करने की कोई डैडलाईन नहीं होती, रिर्सच पेपर 24 घण्टों में छाप दिया जाता है और यह साल में 12 महीने की दर पर छपते हैं, ऐडिटर की कोई कांटैक्ट डिटेल नहीं होती, एक साथ कई विषयों पर पेपर छापने की बात की गई होती है जब कि वह जर्नल उस विषय का नहीं होता, इसकी गूगल इंडैक्सिंग भी नहीं होती, ऐसे जर्नल्ज यूजीसी व स्कूपस के लोगो भी लगा लेते हैं जोकि नहीं लगाये जा सकते ।  उन्होंने सभी रिर्सचर को अपनी ओरसिड आईडी-डिजीटल आईडैंटी फायर पहचान बनाने पर जोर दिया जिससे कि उनका लिखा गया शोध पत्र को कोई ओर नकल न मार सके और उसकी साईटेशन्स बढ़े । उन्होंने कहा कि आमतौर पर कलोंड जर्नल्ज संचालित करने वाले विभिन्न लेखकों को मॉडिफाईड ई-मेल के द्वारा पीछा करते हैं तथा उन्हें ओथैंटिक जर्नल्ज के नाम, आईएसएसएन व ईमेज्स आदि की नकल कर कलोंड जर्नल्ज की नकली वेबसाईड बनाते हैं जिसमें एैडीटोरियल बोर्ड में शामिल विशेषज्ञों के नाम उनके प्रोफाईल के बगैर ही देते हैं ।  उन्होंने शोध जर्नल्ज के क्षेत्र में इस्तेमाल किये जाने वाली टर्मिनोलॉजी इम्पैक्ट फैक्टर, साईटेशन इंडैक्स, एच-इंडैक्स, जीआईएफ के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी ।  प्रो. प्रिया चोपड़ा ने रिसोर्स पर्सन एवं पार्टिसीपैंट्स का धन्यवाद किया । इस मौके पर प्रो. चांदनी मेहता, प्रो. हरमन, प्रो. दीपक शर्मा, प्रो. मंजू उपस्थित थे ।