शादियां या वैभव प्रदर्शन ?
-कमलेश भारतीय
शादी और वैभव प्रदर्शन एक दूसरे से जुड़े हुए हैं जैसे फेविकोल का जोड़! वैसे तो पुराने जमाने से ऋषि मुनि भी इसका पालन करते दिखते हैं जब शकुंतला की शादी होती है तब ऋषि अपनीं सामर्थ्य अनुसार आश्रम के फल फूल भेंट करते हैं लेकिन अब शादियों में फूल सिर्फ और सिर्फ सजावट के काम आते हैं और वे बेचारे भी अतिथियों के पांव तले कुचले जाने को अभिशप्त हैं। तब महादेवी वर्मा की कविता की पंक्तियाँ याद आती हैं :
मत व्यथित हो पुष्प !
किसको सुख दिया संसार ने!
पर माखन लाल चतुर्वेदी की कविता पुष्प की अभिलाषा में भी पुष्प की पीड़ा की अभिव्यक्ति देशभक्तों की राह में बिछाने की अभिलाषा के रूप में हुई है।
खैर! यह तो रही फूलों की बात यानी बात फूलों की। अब मुझे कुछ बर्ष पहले हरियाणा के एक नेता की बेटी के विवाह की याद आ रही है जो इतने वैभव से की गयी थी कि इंडिया टुडे जैसी पत्रिका के पन्नों पर भी इसके भव्य पंडाल के फोटोज प्रकाशित हुए थे और समाचारपत्र भी इस वैभव के गुणगान से भरे पड़े थे।
फिर याद आती है विराट कोहली और अनुष्का की शादी जो इटली के किसी रिसोर्ट में हुई जहां तक पत्रकार झांक भी न पाये, इसीलिए बड़ी हाय तौबा मीडिया ने मचाई। फिल्मी शादियां आमतौर पर राजस्थान के उदयपुर के रिसोर्ट में होती हैं। मुम्बई से सितारों को राजस्थान की ज़मीन पर उतरते देखा जा सकता है। अंखियों से गोली मारे से प्रसिद्ध रवीना टंडन की शादी भी उदयपुर के रिसोर्ट में ही संपन्न हुई थी।
शादियां के चर्चों से अभी तक सलमान खान व कांग्रेस नेता राहुल गाँधी के नाम नहीं जुड़े हैं और लोग इनके साथ किसी भी फैन की फोटो आने पर यह अनुमान लगाने लगते हैं कि यही इनकी दुल्हनिया होगी या होने वाली है। भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कितनी फैंस को देखकर यह भ्रम फैलाया जाता रहा और अभी दुबई में एक महिला फैन के साथ सलमान खान पर भी संदेह व्यक्त किया मीडिया ने कि यही इनकी बेगम है, इसीलिए सलमान खान जल्दी जल्दी दुबई के चक्कर काटते रहते हैं। सलमान के पीआर को यह प्रेस नोट जारी करना पड़ा कि ये मोहतरमा सिर्फ सलमान की फैन है!
वैसे राजनेताओं के बच्चों की शादियों को उनके शक्ति प्रदर्शन के रूप में देखा जाता है। जो जितना शक्ति प्रदर्शन कर सकता है, करता है। किन किन विशिष्ट अतिथियों को आमंत्रित करना है और कितनी तरह के कार्ड छापने हैं और रिसेप्शन को कैसे मनमोहक बनाना है, इस सबकी पूरी योजना बनाई जाती है। ताकि हाईकमान तक चर्च हो सकें कि यह नेता कितना प्रभावशाली है!
वैसे राजनेताओं के बच्चों की शादी को राजनीति की नज़र से न देखकर सामाजिक रूप में देखा जाता है जिसमें धुर विरोधी नेता भी गले मिलते दिखाई दे जाते हैं जैसे राम भरत मिलाप हो रहा हो! रोहतक के एक विवाह समारोह में दो पूर्व मुख्यमंत्रियों भूपेंद्र सिंह हुड्डा और ओमप्रकाश चौटाला की ऐसी सामाजिक मुलाकात के मायने गठबंधन को लेकर लगाये जाने लगे!
चो भजनलाल एक बार पूर्व विधायक स्वर्गीय रेलू राम पूनिया की बेटी की शादी में जयप्रकाश से बतियाते देखे गये थे और यह फोटो काफी चर्चा में रही थी और कुछ समय बाद जयप्रकाश कांग्रेस का दामन थाम चुके थे लेकिन यह एंट्री चौधरी भजन लाल परिवार को ही भारी पड़ी। अब तक दो दो बार जयप्रकाश मंडी आदमपुर से इसी परिवार के खिलाफ चुनाव लड़ चुके हैं।
खैर! मेरी तो इतनी दुआ है कि शादियों में शक्ति प्रदर्शन कम किया जाये और कम खर्च किया जाये क्योंकि इससे निचले वर्गो पर बहुत बोझ पड़ता है और कुछ इनफिरियारिटी कम्लैक्स भी आता है। इन वैभव वाली शादियों में अन्नदाता का अपमान भी होते देखा जाता है। जहाँ तहां पंडाल में जूठी प्लेटें देखी जा सकती हैं! शादियां सादे और गरिमामयी भी की जा सकती हैं जिससे समाज में अच्छा संदेश जाये बाकि तो अपनी अपनी हिम्मत है और खुशी है जो जितना लगा सकता है, वह लगाता है और इसमें सबको अपने मन की करने की छूट और मौज है! अपन मनमौजी को इससे क्या लेना देना!