समाचार विश्लेषण/वीकेंड, लाॅकडाउन और हम
-कमलेश भारतीय
कभी वीकेंड शब्द से बहुत प्यार उमड़ता था । वीकेंड पर क्या कर रहे हो ? हमारे घर आ जाओ । इकट्ठे शाम बितायेंगे । पकौड़े शकौड़े बनायेंगे। कुछ चुटकुले , कुछ डांस , बांसुरी और गिटार,,,,ये सब बीते समय की बातें हो गयीं । अब वीकेंड का मतलब लाॅकडाउन हो गया । अपने अपने घर में रहिए सुरक्षित । न किसी के घर आइए न जाइए । बस , जहां हैं , वहीं सुरक्षित रहिए और एक दूसरे के लिए दुआएं कीजिए । कोई बुरी खबर न आए । जैसे आ रही हैं । आज तक के युवा एंकर रोहित सरदाना नहीं रहे । हरियाणा के कुरुक्षेत्र से थे और हिसार आ कर दो वर्ष तक जनसंचार की डिग्री के लिए रहे । इसलिए जहां कुरुक्षेत्र में शोक की लहर है , वहीं हिसार की आंखें भी नम हैं । आकाशवाणी के वरिष्ठ अधिकारी विनोद मेहता रोहित को याद कर बता रहे हैं कि हिसार आकाशवाणी ने ही रोहित को शब्दों के उतार चढ़ाव से परिचित करवाया यानी उनकी शुरूआत हिसार आकाशवाणी से हुई । इसी प्रकार कुरुक्षेत्र विश्विद्यालय के युवा व सांस्कृतिक विभाग के निदेशक रहे व प्रसिद्ध रंगकर्मी अनूप लाठर ने भी विश्वविद्यालय की लिटरेरी वर्कशाॅप्स में संवारा और फिर रोहित सराहना ने वह मुकाम पाया जो बहुत कम पत्रकारों को मिलता है और वह भी मात्र चालीस साल से कुछ माह ऊपर की उम्र में । हालांकि रोहित सरदाना के निधन के बाद मीडिया की भूमिका पर भी सवाल उठ खड़े हुए हैं कि यदि मीडिया सरकार को चेताने में अपनी भूमिका न भूल जाता तो यह दिन न देखना पड़ता क्योंकि अब यह बात आ रही है फ्रंटलाइन पर काम कर रहे पत्रकारों की सबसे पहले कोविड इंजेक्शन देने चाहिए थे । रोहित से मेरा लगातार सम्पर्क रहा और कभी कभी दंगल के उसके विषय पर भी चर्चा होती थी । हिसार का ही पत्रकार राकेश तनेजा भी कुछ माह पहले हमें कोरोना के चलते खो देना पड़ा। वह भी जी न्यूज से चर्चा में आया था और गुजवि का ही छात्र रहा जनसंचार का । फिर सैलजा के मीडिया सलाहकार का पद संभाला था लेकिन जल्दी ही यह सितारा भी खो गया हमसे । अभी मीमांसा मलिक भी संक्रमित है जो गुजवि की ही छात्रा है और जी न्यूज की चर्चित एंकर लेकिन खुशी की बात कि वह स्वस्थ हो रही है । जल्द वापसी करेगी । हिसार के ही पत्रकार दलबीर सिंह ने कल कोरोना के चलते आखिरी सांस ली । इस तरह कितने ही पत्रकार कोरोना की भेंट चढ़ रहे हैं । एक टी वी चैनल के पत्रकार साकेत भी इसकी लपेट में आए हैं । खैर , पत्रकार हों या आम आदमी सब इस दूसरी लहर में इसकी चपेट में आ रहे हैं । वीकेंड लाॅकडाउन की घोषणा जिलों में हुई है जिनमें हिसार भी शामिल है ।
अभी तो तीसरी लहर के आने के भी चर्चे हैं । यह लहर पहली दो लहरों से कितना ज्यादा कहर बरपायेगी, कह नहीं सकते लेकिन इतना तो तय है कि खूबसूरत वीकेंड ही नहीं हर दिन इसकी भेंट चढ़ जायेगा । ज़िंदगी एकांतवास और उदास होती जायेगी । छोटी काम धंधे लुट जायेंगे । खत्म हो जायेंगे। हो भी रहे हैं । नौकरियां जा रही हैं , बेरोजगारी बढ़ती जा रही है ।
अभी कल चुनाव परिणाम आयेंगे और राजनीतिक दल लेखे जोखे और वोट प्रतिशत में व्यस्त होने के साथ साथ एक दूसरे को नीचा दिखाने लगेंगे । पार्टी दफ्तरों के बाहर जीत के जश्न होंगे और मास्क लगाने भूल जायेंगे । यह लापरवाही लगातार दिख रही है ।बेशक चालान भी कट रहे हैं और जुर्माने भी करोड़ों रुपये में वसूल किये जा रहे हैं लेकिन हम नहीं सुधरेंगें की तर्ज पर हम वैसे के वैसे ही रहेंगे । हम नहीं सुधरेंगे । कब सुधरेंगे ?