स्वागत वेश का नहीं, अपितु त्याग और संयम का होता हैः साध्वी सुमनश्री

चातुर्मास में रोहतक पहुंची शासन साध्वी सुमनश्री, तेरापंथ भवन में होंगे प्रवचन।

स्वागत वेश का नहीं, अपितु त्याग और संयम का होता हैः साध्वी सुमनश्री

रोहतक, गिरीश सैनी। स्थानीय ग्रीन रोड स्थित जैन तेरापंथ भवन में तेरापंथ धर्म संघ के एकादशम अनुशास्ता युगप्रधान आचार्य महाश्रमण की सुशिष्या शासन साध्वी सुमनश्री ठाणा चार ने एक भव्य आध्यात्मिक रैली के साथ चातुर्मासिक मासिक मंगल प्रवेश किया। इस दौरान श्रावक समाज द्वारा उनका अभिनंदन एवं स्वागत किया गया। धर्म संघ की रैली भगवान महावीर के जयघोष के साथ तेरापंथ भवन पहुंची।

स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए शासन साध्वी सुमनश्री ने कहा कि स्वागत वेश का नहीं, अपितु त्याग और संयम का होता है। उन्होंने कहा कि स्वागत गुरु दृष्टि, गुरु भक्ति एवं गुरु शक्ति का होता है। संतों को खुशियों का त्योहार बताते हुए उन्होंने कहा कि संत ज्ञान दर्शन चरित्र की ज्योति जलाने का पवित्र कार्य करते हैं।

साध्वी सुरेखा ने कहा कि सही मार्गदर्शन श्रावक समाज को अध्यात्म व ज्ञान से परिपूर्ण कर सकता है। साध्वी मधुर लता ने एक गीतिका के माध्यम से भावनाएं व्यक्त की। साध्वी मन्नप्रभा ने कहा कि जप व तप आत्मा को शुद्ध करते हैं। इस दौरान तेरापंथ महिला मंडल ने मंगलाचरण किया तथा स्वागत गीत प्रस्तुत किया। सभा के संरक्षक कृष्ण जैन, संतोष जैन व महिला मंडल की अध्यक्ष वंदना जैन ने स्वागत भाषण दिया। इस दौरान मौजूद सकल जैन समाज ने प्रतिदिन एकासना व्रत का संकल्प लिया।