सैलजा का अभिनंदन
क्या हरियाणा कांग्रेस में गुटबाजी तेज ?
-कमलेश भारतीय
हरियाणा से पूर्व मंत्री , पूर्व प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष सुश्री सैलजा को कुलदीप बिश्नोई के क्रास वोटिंग के चलते उनकी जगह कांग्रेस की सबसे शक्तिशाली कांग्रेस कार्यसमिति की सदस्य बनाये जाने से इनके समर्थकों में खुशी की लहर फैल गयी । जो सैलजा प्रदेश अध्यक्ष पद से कार्यकाल पूरा होने से पूर्व ही विरोध के चलते इस्तीफा देकर एक प्रकार से हाशिये पर चली गयी थी , वही सेलजा कार्यसमिति की सदस्य बनाये जाने से फिर से चर्चा के केंद्र में आ गयी । इनके समर्थक जो थोड़े मायूस हो गये थे , फिर से इनके चेहरों पर रौनक आ गयी और आज के दिन हिसार के अग्रसेन भवन में सैलजा का अभिनंदन समारोह रख दिया । इसे राजनीतिक भाषा में अभिनंदन न कह कर सैलजा के समर्थकों का शक्ति प्रदर्शन कहा जा सकता है । पूरे एक सप्ताह तक गांव गांव घूमकर प्रचार किया गया और हिसार को पोस्टरों से भर दिया गया । पोस्टर पर गौर कीजिए । ध्यान दीजिए कि सैलजा के साथ किसका फोटो प्रमुखता से लगाया गया है ? राजस्थान से हाल ही में चुने गये राज्यसभा सदस्य रणदीप सूरजेवाला का । इशारे समझने कोई मुश्किल नहीं । राज्यसभा के लिए राजस्थान का रूख क्यों करना पड़ गया सुरजेवाला को ? क्योंकि मन में गुटबाजी से डर था कि हरियाणा से नहीं चुना जा सकता । यह डर साबित भी हो गया जब अजय माकन को खुद क्रांग्रेस विधायकों ने भी हरा दिया । इसलिए यह समीकरण स्पष्ट है कि जो भी पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की कार्यशैली से खुश नहीं , वे एकजुट हो गये । यह शक्ति प्रदर्शन यह संकेत देता है कि कांग्रेस में गुटबाजी खत्म नहीं हुई और शायद होगी भी नहीं । कहीं भी , किसी भी पोस्टर में नये प्रदेशाध्यक्ष उदयभाऑ व प्रतिपक्ष नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा के फोटो नहीं हैं । ये क्या इशारे दे रहे हैं ?
अभिनंदन समारोह में पूर्व मंत्री सुभाष बतरा , कृष्णमूर्ति हुड्डा , विधायक प्रदीप चौधरी , रेणुबाला , प्रदेश की महिला कांग्रेस की अध्यक्ष सुधा भारद्वाज , पूर्व विधायक राजपाल भूखड़ी , पूर्व मंत्री अत्तर सिंह सैनी , नृपेंद्र सांगवान, पूर्व सांसद चरण सिंह, शमशेर सिंह गोगी सहित अन्य महत्त्वपूर्ण नेता मौजूद रहे और कहते रहे कि दिल्ली तक संदेश जायेगा कि सैलजा को और नयी जिम्मेदारी दी जायेगी जिससे जल्द ही एक और अभिनंदन कार्यक्रम रखना पड़ेगा । यह वही बात है कि ' कवां धी नू ते सुनावां नूंह नूं' यानी इसके संदेश कहीं और दिये जा रहे हैं और यह भी साफ है कि कांग्रेस में गुटबाजी अभी ख़त्म नहीं हुई। न निकट भविष्य में होने की कोई संभावनायें हैं । कांग्रेस हाईकमान की संतुलन बनाने की कोशिशें कोई रंग नहीं ला रहीं ।