समाचार विश्लेषण/लोकतंत्र की नयी मंडी पश्चिमी बंगाल
-कमलेश भारतीय
यदि पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात सच माना जाये तो लोकतंत्र की नयी मंडी पश्चिमी बंगाल में लग चुकी है और कुछ मंत्री और विधायकों की बोली लग चुकी और वे तृणमूल कांग्रेस से भाजपा के पाले में जा चुके । भाजपा नेताओं का एक ही रचा रटाया जवाब माननीय स्वर्गीय अरूण जेटली से लेकर कैलाश विजयवर्गीय तक है कि अपने घर को संभाल कर नहीं रखोगे तो यही होगा । घर तो राजस्थान में अशोक गहलोत ने भी संभाला हुआ है लेकिन अमित शाह जी की प्रेस्टिज का सवाल है राजस्थान सरकार को गिराना तो विधायक ऑन सेल रहेंगे ही । बिकाऊ लोकतंत्र का कमाल, गिर जाये सरकार । है न जादूगरी ? कल तक कांग्रेस का झंडा , आज भाजपा का भगवा और कमल । मध्यप्रदेश मे भी यही हुआ । ज्योतिरादित्य सिंधिया ने बदला पाला और बन गये राज्यसभा सदस्य । एक हाथ दो , दूसरे हाथ लो । खुला ऑफर । ये लो , ये दो । एक्सचेंज ऑफर । है न सीजनल । अब यह सीजन यानी बिकाऊ होने का सुनहरा अवसर पश्चिमी बंगाल में आया है । लूट सके तो लूट भैया । मौके पर चौंका लगा ले । पाछे फिर पछतायेगा जब चुनाव हो जायेंगे संपन्न । शाह जी के खजाने के मुंह खुले हैं अभी ।
ममता बनर्जी कह रही हैं कि हमारे सच्चे खजाने हमारे समर्पित कार्यकर्त्ता हैं । ये कार्यकर्त्ता भी न जायें टूट । बड़ी आशंका है ममता बहन जी । बंगाल की शेरनी । कुछ सूझ बूझ से काम ले और गठबंधन बना ।
कांग्रेस के कितने ही नेता भगवामय हो चुके हैं । पता नहीं चलता कि कांग्रेस मुक्त कर रहे हैं या कांग्रेस रक्त भाजपा बना रहे हैं ? हरियाणा में चुनावों से पहले चौ बीरेंदर सिंह , राव इंद्रजीत और धर्मवीर ही नहीं अरविंद शर्मा तक पाला बदले और भाजपा के कमल को थामा । संसद में गये । जो लाभ मिला वह लिया । कांग्रेस में आए अशोक अरोड़ा विधायक भी न बन पाये । जेपी कांग्रेस मे लौटे पर हार गये । कैलाशो सैनी कांग्रेस में पड़े पड़े बोर सो गयी तो भाजपा में चली गयी । मिला वहां भी कुछ नहीं । अब कहां जाओगी बहन जी ? बबिता फौगाट कब आई और कब पद पा गयी । है कुछ पता ? ये विधायकों की सेल के समय में मैं भी क्या गढ़े मुर्दे उखाड़ने लगा? बिक लो भैया । मेरा क्या जाता है ,,,अच्छी कीमत वसूलना । बधाई अग्रिम ।