समाचार विश्लेषण/अमृत महोत्सव के बीच और बाद क्या?
-*कमलेश भारतीय
एक वर्ष तक चले अमृत महोत्सव बीच क्या हुआ और इसके बाद क्या होगा ? कोविड के बीच थाली बजाओ , मोमबत्ती जलाओ के बाद कोरोना ने देशवासियों को एक बार नहीं दो दो बार डराया था । और उत्तरप्रदेश की नई किनारे दबाये गया शव प्रशासन की पोल खोल गये थे ।अभी भी बीच बीच में धमकाता रहता है । अब आजादी का अमृत महोत्सव भी एक इवेंट बना दिया गया जो एक वर्ष तक चला । आखिर के कुछ दिनों में तिरंगा यात्रायें निकाली गयीं और एक आंकड़े के अनुसार पांच सौ करोड़ रुपये के तिरंगे बिके । हर घर तिरंगा और जिसका घर नहीं उसका क्या ? कहां लहराते तिरंगा ? हर इवेंट में पिसते देखा आम आदमी को , जब राशन से पैसे काट कर तिरंगा दिया गया गरीब आदमी को ।
इसी बीच ऐसी शर्मनाक घटना हुई कि उत्तर प्रदेश में एक स्कूल के ग्यारह बारह वर्षीय दलित छात्र को गुरु जी ने इसलिए पीट पीट कर मार दिया क्योंकि उनकी मटकी का पानी गलती से पी लिया था । बच्चे को नहीं मालूम था मटकियों के ऊंची व छोटी जाति के होने का फर्क और बेचारा मार खाकर आखिरकार मर गया । यह हमारे अमृत महोत्सव के बीच ही हुआ । गुरुजी के साथ अमृत महोत्सव की तैयारियों में जुटा था और जान गंवा बैठा । यह दुखांत कितना बड़ा है ! देश बड़ा है कि जाति पाति ? देश बड़ा है कि गरीब अमीर बड़ा है ? अभी हम जाति पाति और गरीब अमीर की खाइयों में गिरे हुए हैं । हमें कौन निकालेगा बाहर ? कैसे निकलेंगे बाहर ? कौन निकालेगा हमें बाहर ? आखिरकार आजादी के अमृत महोत्सव के बीच ही महाराष्ट्र सरकार गिराई गयी । बिहार सरकार बदल गयी लेकिन तिरंगा नीतिश कुमार ने ही लहराया । इस आजादी के अमृत महोत्सव में गांधी की विचारधारा पर भी बदलाव जारी रहा और सुनने में आ रहा है कि साबरमती के आश्रम का भी लुक बदला जाने वाला है । यह एक नयी इवेंट होगी । वैसे बदलने को तो जेएनयू भी एजेंडे पर है । गांधी और जवाहर लाल नेहरू एजेंडे पर हैं । बदलाव होगा । पाठ्यक्रम से हटाये जा रहे हैं ताकि जो आजादी सन् 2014 के बाद मिली है उसका गुणगान आसानी से गाया जा सके ।
चलिए हो गया अमृत महोत्सव । उस छात्र को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं जो बेचारा गुरूजी की मटकी का जहरीला पानी पी गया और जान गंवा बैठा ,,,,!
-*उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।