समाचार विश्लेषण/कांग्रेस के बिना क्या मोर्चा?
-कमलेश भारतीय
एन सी पी यानी नेशनल कांग्रेस पार्टी के सुप्रीमो व पूर्व केंद्रीय मंत्री शरद पवार ने कहा है कि वे कांग्रेस के बिना बनाये जा रहे मोर्चे का नेतृत्व नहीं करेंगे । यह कांग्रेस के लिए बड़ी राहत व सम्मान की बात है । हालांकि कांग्रेस इतनी धरातल में धंस गयी है कि उत्तर प्रदेश में किसी ने भी इससे समझौते की कोशिश नहीं की । प्रियंका गांधी के धुआंधार प्रचार के बावजूद सिर्फ दो सीटें ही आईं । यानी प्रचार न भी करती तो इतनी सीटें तो आ ही जातीं । पंजाब में भी अपने हाथों अपनी हार की पटकथा लिखी और अभी तक वहां उठा पटक जारी है । हरियाणा में भी समय पर न पहले कोई फैसला किया और न अब कोई फैसला कर रही है । यदि समय पर फैसला लिया होता तो परिणाम कुछ और होते । अब भी कोई फैसला नहीं कर रही और प्रदेश के नेताओं में गुटबाजी चरम पर आ पहुंची है ।
जहां तक तृणमूल कांग्रेस की सुप्रीमो व पश्चिमी बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की बात है तो वे अपने राज्य में जीत के बाद से खुद को ही भाजपा विरोधी मोर्चे की लीडर समझ रही हैं और प्रशांत किशोर इनके लिए ऐसी ही रणनीतियां बनाते जा रहे हैं । उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस व सपा को एकजुट करने की बजाय सपा का ही साथ दिया तो गोवा में अलग से चुना लड़कर कांग्रेस के लिए मुश्किलें बढ़ाईं । इस तरह गोवा को भाजपा की झोली में डालने में भूमिका निभाई । आप के अरविंद केजरीवाल ने भी यही किया । न केवल गोवा बल्कि उत्तराखंड में भी अलग चुनाव लड़े और भाजपा को आसान जीत दिलाने में मदद की । हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने भी सही कहा है कि यदि उत्तर प्रदेश में गठबंधन होता तो परिणाम कुछ और हो सकते थे लेकिन विपक्ष एकजुट नहीं हुआ और इसका सीधा सीधा फायदा उठाया भाजपा ने । जब तक विपक्ष एकजुट नहीं होगा तब तक भाजपा को आसान जीत मिलती रहेगी । अभी हिमाचल व गुजरात में चुनाव आ रहे हैं । विपक्ष समय रहते संभल जाये श समझ जाये तो ठीक नहीं फिर भाजपा तो ताक में बैठी ही है विपक्ष की गलतियों से फायदा उठाने के लिए ।
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।