75 वर्षों में देश ने क्या खोया, क्या पाया, 'लोक संसद' में होगा मंथन

देशभर के दिग्गज जुटेंगे 'लोक संसद' में

75 वर्षों में देश ने क्या खोया, क्या पाया, 'लोक संसद' में होगा मंथन

नई दिल्ली । देश को आजाद हुए 75 साल हो गए हैं और इस दौरान हमने क्या पाया , क्या खोया इसकी समीक्षा होनी चाहिए। इसी के लिए आठ अप्रैल (2022) से दिल्ली में 'लोक संसद' के पहले संस्करण का आयोजन होने जा रहा है जिसमे विभिन्न क्षेत्र से जुड़े लोग अपने अपने विचार रखेंगे। इस बात की जानकारी देश के अग्रणी विचारक व लोक संसद के संरक्षक  के. एन. गोविंदाचार्य ने आज यहां आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में दी। इस मौके पर अमेरिकी दूतावास के पूर्व राजनीतिक सलाहकार व लोक संसद के संयोजक दिनेश दुबे और वरिष्ठ पत्रकार रवि शंकर तिवारी आदि मौजूद थे। कार्यक्रम का आयोजन 'माता ललिता देवी सेवा श्रम' संस्थान की ओर से किया जा रहा है। कार्यक्रम का आयोजन एनडीएमसी कन्वेंशन सेंटर में होगा।

श्री गोविंदाचार्य ने कहा कि अंग्रेज 15 अगस्त 1947 को भारत छोड़ गए। भारत को अपनी तासीर, तेवर व जरूरत के हिसाब से शासन व्यवस्था करने और इसका संचालन करने का शुभ अवसर प्राप्त हुआ। देश ने लोकतांत्रिक व्यवस्था को चुना और उसके संचालन के लिए संविधान को भी स्वीकार किया।

अब 75 साल हो गया है। वक्त की जरूरत है कि आजाद भारत की इस यात्रा में हमने क्या-क्या पाया, क्या कुछ खोया, उसकी समीक्षा करें और वह भी अंतिम व्यक्ति के नजरिए से। देश का हर नागरिक जाति, क्षेत्र, भाषा, संप्रदाय व अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता से ऊपर उठकर भारत का जागरूक, संवेदनशील नागरिक बनकर समीक्षा भी करे और आगे की योजना तैयार करें। भारत को भारत के नजरिए से देखते हुए हम सबको योजना बनानी है और 'इसी मकसद से लोक संसद का गठन मित्रों ने किया है। मैं भी उन सबके साथ हूं। एक सत प्रयास का नाम है, लोक संसद। यह पूरे देश व सभी जन की आवाज बने, भारत की विरासत की जमीन का ख्याल भी रखे, लोकतंत्र की बुनियाद, विश्वास व संवाद की प्रक्रिया को इससे पुष्टि और ताकत मिले, यह अपेक्षा है। इस प्रयास में संपूर्ण समाज का लोक संसद हृदय से स्वागत करती है। यह प्रयास सबका अपना है, यह ध्यान रखें और इसे सशक्त बनाएं।

एक दिवसीय लोक संसद की विस्तृत रूपरेखा बताते हुए अमेरिकी दूतावास के पूर्व राजनीतिक सलाहकार व लोक संसद के संयोजक दिनेश दुबे ने बताया कि 'एक दिन का पूरा आयोजन इसी शुभ सोच के इर्द-गिर्द तैयार है। पहली लोक संसद का विषय 'आजादी के 75 साल: कहां है, कहां होना चाहिए' तय किया गया है। इसमें विचारधारा की जगह विचार को अहमियत दी गई है। तभी लोक संसद देश में मौजूद सभी विचाधाराओं का संगम बन सका है।' लोक संसद का उद्घाटन आठ अप्रैल (2022) को  होगा। कार्यक्रम में केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान, स्वामी चिदानंद (परमाध्यक्ष, परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश)' डॉ. इमाम उमैर अहमद इलियासी (मुख्य इमाम, राष्ट्रीय इमाम संघ),  जलपुरुष राजेंद्र सिंह, गांधीवादी पीवी राजगोपाल, समाजवादी रघु ठाकुर समेत तमाम सम्मानित अतिथि मौजूद रहेंगे। इसके बाद सद्भाव संसद, समाज संसद व राज संसद के तौर पर क्रमशः तीन सत्र होंगे। हर सत्र में सत्र विशेष के विशेषज्ञ बतौर वक्ता अपनी बात रहेंगे। मसलन, सद्भाव संसद में धार्मिक-आध्यात्मिक शख्सियतें होंगी। समाज संसद में समाजिक क्षेत्र में काम करने वाले लोग बात करेंगे। और राज संसद में राजनीतिक विचारक मौजूदा हालात की समीक्षा करेंगे। अंत में समापन सत्र होगा। इसमें दिन-भर की चर्चा से मुख्य बिंदुओं पर बात करके लोक संसद की भविष्य की कार्ययोजना भी बताई जाएगी।