समाचार विश्लेषण/ये जी 23 क्या है, कोई तो बताओ?

समाचार विश्लेषण/ये जी 23 क्या है, कोई तो बताओ?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
कांग्रेस में जी 23 को असंतुष्ट व वरिष्ठ नेताओं का जमावड़ा माना जाता है और इसकी शुरूआत जम्मू में गुलाबी पगड़ियां सिर पर बांध कर कांग्रेस हाईकमान को पहली बार अपने विरोध करने के इरादे जाहिर किये थे । अब तो पंजाब की पूर्व उपमुख्यमंत्री राजेंद्र कौर भट्ठल भी इसमें शामिल हो गयी थीं जबकि जितिन प्रसाद कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चले गये थे । क्या जरूरत पड़ी जी 23 की ? क्यों बनाया गया जी 23 ग्रुप ? बड़ी आम सी बात कि इन नेताओं की कांग्रेस हाईकमान ने उपेक्षा शुरू कर दी थी और ये नेता कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर किसी स्थायी व्यवस्था बनाये जाने की मांग उठाने लगे थे और ऐसे समय उठाते थे जब किसी न किसी राज्य में विधानसभा चुनाव आने वाले होते थे जिससे कांग्रेस चुनाव की तैयारियों की बजाय आपस में ही लड़ाई में उलझी रह जाती और चुनाव हार जाती रही । अभी ताजा चुनावों में भी पांच में से एक भी राज्य में सरचार बनाने में सफलता नहीं मिली । पंजाब में तो करारी हार का सामना करना पड़ा और चन्नी दोनों सीटों से हारे । यहां तक कि उत्तराखंड में भी मुख्यमंत्री पद के दावेदार हरीश रावत हार गये । बेशक हारे तो आजपा के मुख्यमंत्री पुष्कर धामी भी लेकिन खुशकिस्मत रहे कि हारे होने के बावजूद फिर मोदी इन पर मेहरबान हुए और मुख्यमंत्री बना दिया । वैसे ये चुने हुए विधायकों की घोर उपेक्षा करने वाली बात है । क्या उनमें से कोई भी मुख्यमंत्री बनने योग्य नहीं था ? 

बात करते हैं कांग्रेस की । जब चंडीगढ़ में पत्रकारों ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा से जी 23 समूह के बारे में पूछा तो जवाब बड़ा मासूम कि ये जी 23 समूह क्या है ? कोई बतलाये मुझे । सौदागर में हीरो हीरोइन की जोड़ी का गाना याद आ गया जिसमे यह जोडी पूछती है -यह इल्लू इल्लू क्या है ? इल्लू इल्लू तो है लेकिन कोई बतलाये कि बतलायें क्या ? गालिब की तर्ज पर । अब कांग्रेस हाईकमान ने पहले इसके बारे में बातचीत की पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा से और अब पूरे हरियाणा के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत होगी ताकि आने वाले विधानसभा चुनाव से पहले सबकी बात सुन समझ कर कोई बदलाव किया जाये या सामूहिक नेतृत्व सौंपा जाये । हरियाणा में भी बिना शक भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथ सम्मानजनक तरीका नहीं अपनाया गया बल्कि उनके जनता के बीच आधार की अनदेखी की जाती रही । जिनका जनाधार नहीं उन्हें कमान सौंपी जाती रही जिससे कांग्रेस को नुकसान पहुंचता रहा जिसका आभास अब हुआ लगता है कि गलती कहां है और इसे समय रहते सुधार लिया जाये । भला हो आप के बढ़ते प्रभाव का जिससे कांग्रेस को होश आई ।

इधर हरियाणा के चौधरी बीरेन्द्र सिंह अपने सार्वजनिक जीवन के पचास वर्ष मनाने के बहाने नयी राजनीतिक चर्चाओं को हवा दे रहे हैं । विपक्षी नेताओं को भी न्यौते देने से रहस्य और बढ़ाए गये । क्या होगा ? क्या कदम उठायेंगे ? यह सारे सवाल चल रहे हैं । देखिए इनके भी अगले कदम की इंतजार कीजिए और कांग्रेस हाईकमान के फैसले का भी इंतजार कीजिए ।

-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।