समाचार विश्लेषण/कैसा गठबंधन और किसका धर्म?
-कमलेश भारतीय
पूर्व केंद्रीय मंत्री रामबिलास पासवान के बेटे चिराग पासवान ने दुहाई दी है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी उनकी पार्टी के साथ गठबंधन धर्म निभायें । मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को खुश करने के लिए प्रधानमंत्री मेरे खिलाफ कुछ भी कह सकते हैं । असल में चिराग पासवान ने बिहार के विधानसभा चुनाव से पहले राज्य के गठबंधन से अलग होने की घोषणा की थी लेकिन केंद्र में यह गठबंधन जारी रखने का फैसला किया था । आपको मालूम हो कि चिराग ने पहले फिल्मों में किस्मत आजमाई लेकिन वहां बात नहीं बनी तो पापा ने घर की पार्टी में हाथ बंटाने को अपने पास बुला लिया । अभी पूरी तरह राजनीति के दांव पेंच सिखा पाते की वे असमय विदा हो गये । इस तरह महाभारत के अभिमन्यु की तरह शिक्षा व पाठ अधूरे रह गये । पापा तो कमाल के राजनीतिक नट थे । केंद्र में जिसकी सरकार आई मुट्ठी भर सांसदों के बल पर बड़ी शान से केंद्रीय मंत्रिमंडल में महत्त्वपूर्ण मंत्री बन जाते । आखिरी दिनों तक मंत्री पद को सुशोभित करते रहे । ऐसी जादूगरी वे अपने सुपुत्र को सिखाने से पहले विदा हो गये । नमन् है उनकी जादूगरी को ।
अभी चिराग को तो गोटियां और चालें चलनी भी नहीं आईं कि वह पापा के जाने से अकेला रह गया । बिहार विधानसभा चुनाव में साख कैसे बचाये अपनी पार्टी की ?
वैसे यदि पंजाब और हरियाणा में भाजपा के राजनीतिक गठबंधनों के इतिहास के पन्ने पलटेंगे तो बहुत रोचक बात मिलेगी । सन् 2014 से पहले तक हरियाणा में राजनीतिक गठबंधन मुख्य तौर पर चौ देवीलाल या उनके परिवार के जो भी नेता आए उनके साथ बना रहा । इनेलो ड्राइवर सीट पर और भाजपा एक कंडक्टर यानी सहयोगी । सन् 2014 में पहली बार भाजपा अपने दम पर आई और इसने इनेलो को ऐसा कर दिया कि टुकड़े टुकड़े कर दिया । न केवल परिवार बल्कि पार्टी और कार्यकर्ताओं को । दादी तक बोल गयीं ऐसी बात कि विश्वास नही हुआ । अब बेशक जजपा गठबंधन में चुनाव के बाद आई लेकिन इसे कमजोर करने की कोशिशें भी गुप चुप हो रही हैं । क्या गठबंधन धर्म का अनुभव कुलदीप विश्नोई से जानना चाहोगे ? उसे मुख्यमंत्री बनाने का सपना दिखाया । फिर गठबंधन तोड़ मंझधार में छोड़ दिया । कांग्रेस में वापसी करनी पड़ी ।
पंजाब में भी अकाली दल के गठबंधन में सत्ता सुख लूटा लेकिन वहां भी हरसिमरत कौर बादल केंद्रीय मंत्रिमंडल से इस्तीफा देकर बाहर आ गयीं किसान कानूनों के विरोध में । यानी पंजाब में भी नया पार्टनर खोजना पड़ सकता है । इसी तरह अन्य राज्यों में हो रहा है । यही रणनीति है । यही कूटनीति है । चिराग समझ जाओगे कुछ समय में । आप अपनी पार्टी को बिखरने से बचा सको तो बचा लो । जीवन मांझी की पार्टी का तो विलय हो गया न । आपकी बारी है ।
वैसे चिराग ने दुहाई दी है कि प्रधानमंत्री के साथ उनके संबंध बहुत मधुर हैं । वे पापा की बीमारी और निधन के बाद बराबर खोज खबर लेते रहे । बेटे चिराग हालचाल पूछने की बात और लेकिन राजनीति की चालें कुछ और । समझ लो । यह राजनीति है यहां कोई किसी का सगा नहीं ।