समाचार विश्लेषण/क्या क्या उपाधियां दोगे किसानों को?
-कमलेश भारतीय
किसान आंदोलन तेज़ी पकड़ता जा रहा है जबकि केंद्र सरकार इस उम्मीद में बैठी है कि ये किसान थक हार कर अपने अपने घरों को लौट जायेंगे । यह एक बड़ी भारी भूल है और इस भूल की कीमत सरकार को पश्चिमी बंगाल में हार कर चुकानी पड़ी । आगे पंजाब , उत्तराखंड के चुनाव आ रहे हैं । वहां भी ये कृषि कानून और किसान आंदोलन की बातें उठेंगी । इसीलिए उत्तराखंड में अपनी संभावित हार को देखते हुए इसी वर्ष बहुत कम समय में दो दो मुख्यमंत्री अपनी अपनी कुर्सी गंवा चुके यानी क्रिकेट की भाषा में अपने अपने विकेट दे बैठे पर क्या चेहरे बदलने से किस्मत बदल जायेगी? पंजाब में कांग्रेस ने भी प्रधान का चेहरा बदला है पर क्या वह चेहरा भी कांग्रेस हाईकमान की उम्मीद को पूरा कर पायेगा ?
खैर , बात तो यह है कि किसान को क्या क्या कहा जाने लगा है ? आपको मालूम है ? पहले आतंकवादी , फिर माओवादी , फिर क्या से क्या ,,,,अब भाजपा की दो नेत्रियों ने फिर किसानों को नये नये पुरस्कारों/सम्मानों से नवाजा है । भाजपा की दिल्ली से सांसद और नयी नवेली मंत्री मीनाक्षी लेखी की नज़र में किसान मवाली हैं । हालांकि ज्यादा आलोचना होने पर मैंने ऐसा तो नहीं कहा था या मेरा यह मतलब नहीं था जैसे बहाने बना दिये । अभी हरियाणा की भाजपा नेत्री और सचमुच अभिनेत्री सोनाली फौगाट भी पीछे कैसे रहतीं ? झट से किसानों को गुंडे और मुफ्त की दारू पीने वाले कह डाला । फिर इनकी जितनी तारीफ की जाये कम है क्योंकि सोनाली जो भी करती हैं वह ऑनलाइन करती हैं और बाकायदा वीडियो जारी करती हैं । यानी डंके की चोट पर करती हैं । आपको इनके टिक टाॅक के वीडियो तो पता होंगे लेकिन सबसे चर्चित वीडियो रहा मार्केट कमेटी कै सचिव सुल्तान सिंह को चप्पल और थप्पड़ मारने का । हिट ही नहीं बल्कि सुपर से भी ऊपर रहा यह वीडियो । भाजपा तो गद्गद् हो गयी । यों महिला आयोग की कमलेश ढांडा जी भी आईं और भाजपा के करनाल से सांसद भाटिया जी भी आए लेकिन पीठ थपथपा कर चले गये और सरकार ने सुल्तान सिंह को पदावनत यानी नीचे का ओहदा देकर सज़ा भी दे दी । इसे कहते हैं गवर्नमेंट जो मिनट मिनट पर गौर करे । किया न । सोनाली का सम्मान और सुल्तान सिंह का घोर अपमान । यह है नारी शक्ति और इसे कहते हैं प्रशासन को सही करना यानी जूते , चप्पल और थप्पड़ तक चला दो । फिर देखो ये सुशासन कैसे आता है....
अब किसान आंदोलन तो चलता रहेगा और ऐसे न जाने कितने सम्मान/पुरस्कार नवाज़े जाते रहेंगे । सीधी बात कि भाजपा नेता इस आंदोलन को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ रहे लेकिन सुभाषिणी अली भी कह गयी हैं कि ये किसान सन् 2024 तक धरना देने के मूड में हैं और नयी सरकार बनवा कर व कृषि कानून रद्द करवा कर ही घर लौटेंगे। यह चेतावनी सुनाई दे रही है क्या...