समाचार विश्लेषण/अमृत महोत्सव में क्या खोया, क्या पाया
-*कमलेश भारतीय
अमृत महोत्सव वर्ष तो बीत गया जैसे कोई सुंदर सपना बीत गया या कहें कि टूट गया ! अमृत महोत्सव का हैंगओवर जारी है अभी । देखा नही आपने कि मुगल गार्डन का नाम ही अमृत गार्डन हो गया ! वैसे इससे पहले हमारा गुड़गांव गुरुग्राम बन गया था । मुगलसराय भी कुछ भले से नाम वाले शहर में बदल गया । कितने शहरों के नाम बदलने के लिये कोर्ट में भी अर्जी लगी पर कोर्ट ने इसकी सुनवाई से ही इंकार कर दिया । कौन खोजे सब शहरों के नये नाम !
इधर हमारे पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान दिल्ली गये थे और बडे साहब से मिले भी थे पंजाब के लिये आर्थिक मदद के लिये । फिर पता नहीं क्या हुआ ! लौटकर आते ही विधानसभा के बजट सत्र में गुस्से में बोले- बड़े साहब ने रेल, तेल, बैंक और एयरपोर्ट सब बेच डाले और इसके बदले में मीडिया वालों को खरीद लिया है ! है न सौदा खरा खरा ! मीडिया को तो राहुल ने भी जगाने की कोशिश की भारत जोड़ो यात्रा में लेकिन मीडिया टस से मस नहीं हुआ । वही चाल, चलन और चरित्र है मीडिया का ! मीडिया है कि मानता नहीं ! वैसे भगवंत मान देश की इन चीज़ों की बोली ऐसे ही लग रही है जैसे आईपीएल की बोली लगती है । कौन कौन खरीदने आगे आता है ? कभी विजय माल्या तो कभी अन्य कारोबारी !
बताओ इतना गुस्सा करता है कोई ? ऐसे बोलते हैं बड़े साहब को ? यह क्या तरीका है ! अरे बड़े साहब तो हिसाब करने में लगे हैं और हर चुनाव में पूछते हैं कि सत्तर सालों में कांग्रेस ने क्या किया ? अब जवाब देने वाले देते हैं कि जो कांग्रेस बनाया उसे ही तो आप बेच रहे हैं ! अब आप बताइये कि क्या बनाने जा रहे हैं ! नया तो नहीं बनाने जा रहे लेकिन शहरों , संस्थाओं और अन्य जगहों के नये नये नामकरण जरूर किये जा रहे हैं और बाकायदा जश्न मना कर !
खैर ! बिक गया जो
वो खरीदार नहीं हो सकता !
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।