चुनाव की तिजोरी से क्या निकलेगा?
-*कमलेश भारतीय
जैसे कभी समुद्र मंथन हुआ था-देवताओं और राक्षसों के बीच, क्या वैसा ही मंथन हो रहा है सभी राजनीतिक दलों के बीच चुनाव की तिजोरी को लेकर? आज अखबार इस मंथन को लेकर आये हैं हमारे सामने । यह मंथन महाराष्ट्र में चल रहा है। वह कथा पुरानी हो गयी समुद्र मंथन की, अब नयी कथा आई है चुनाव तिजोरी की। नये ज़माने की नयी कथा, नया रूप ।
कांग्रेस के राहुल गांधी, जिन्हे पहले भाजपा आईटी सेल ने 'पप्पू' बनाये रखा और अब लोकसभा चुनाव के बाद 'मंदबुद्धि' साबित करने पर तुला हुआ है। उसी राहुल गांधी ने महाराष्ट्र चुनाव में एक सेफ(यानी आम भाषा में तिजोरी) दिखाकर कहा कि इस तिजोरी में भाजपा में एक हैं तो सेफ हैं, जिसका गहरा मतलब यह है कि मोदी और अडानी एक हैं तो सेफ हैं । इस बार धारावी की एक लाख करोड़ की सम्पत्ति देने की तैयारी है । राहुल गांधी ने सीधा सीधा हमला बोलते बोलते स्पष्ट किया कि महाराष्ट्र का चुनाव उद्योगपतियों, किसानों, महिलाओं और युवाओं के बीच है। महाराष्ट्र के सात लाख करोड़ रुपये की परियोजनायें बाहर भेजी गयीं ।
इसके जवाब में भाजपा सांसद व प्रवक्ता संबित पात्रा तुरन्त आये और कहा कि कांग्रेस को चुनावी तिजोरी से ज़ीरो ही हाथ लगेगा । यह कांग्रेस है जो महाराष्ट्र की तिजोरी लूटना चाहती है, भाजपा नहीं । उन्होंने एक नया नाम दिया राहुल गांधी को यह कहते हुए कि 'छोटे पोपट' ने कांग्रेस को चौपट कर देने में कोई कसर नहीं छोड़ी । कांग्रेस को चुनावी तिजोरी से ज़ीरो ही मिलने वाला है ।
यह चुनावी मंथन पहले लोकसभा चुनाव में हुआ, फिर हरियाणा विधानसभा चुनाव में और अब महाराष्ट्र व झारखंड चुनाव में हो रहा है। मजेदार बात कि किसानों के हितैषी बनने की छवि बनाने में जुटी भाजपा सरकार किसानों को डीएपी खाद उपलब्ध नहीं करवा पा रही और भाजपा के हरियाणा प्रदेशाध्यक्ष मोहन लाल बड़ौली इसे कांग्रेस का दुष्प्रचार मात्र कहते मीडिया के सामने पल्ला झाड़ लेते हैं और हरियाणा में दो यौन शोषण मामलों संबंधी सवाल का जवाब कितनी मासूमियत से टालते कह गये कि ये तो व्यक्तिगत मामले हैं । अब बताओ चुनाव तिजोरी में हरियाणा के साथ क्या लगा, जो महाराष्ट्र की जनता को मिलेगा? झारखंड की जनता को क्या मिल जायेगा? वही विकसित भारत और राममंदिर या फिर बल्लभभाई पटेल की सबसे ऊंची मूर्ति? शिक्षा का बाज़ारीकरण और क्या क्या कहूं? चुनाव तिजोरी से सही कह रहे हैं संबित पात्रा कि कांग्रेस तो क्या आमजन को भी कुछ हासिल होने वाला नहीं ! शायर बशीर बद्र की सुनिये तो :
मेरा आईना भी अब मेरी तरह पागल है
आईना देखने जाऊँ तो नज़र तू आए
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी।