समाचार विश्लेषण/गांव देहात बचाओ पर वार्ता कब?

समाचार विश्लेषण/गांव देहात बचाओ पर वार्ता कब?
कमलेश भारतीय।

-*कमलेश भारतीय 
पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली के लिए भारी संकट बन गया है -ई टेंडरिंग! इसके विरूद्ध आंदोलन , प्रदर्शन बढ़ते बढ़ते साठ बीडीपीओ ऑफिसों की तालाबंदी तक पहुंच गया है । सरपंचों ने इन ऑफिसों पर ताले जड़ कर अपना रोष व्यक्त किया है और जगह जगह प्रदर्शन भी हो रहे हैं । यह एक प्रकार से हरियाणा में एक नया आंदोलन शुरू हो गया है जो भाजपा जजपा सरकार के लिये सिरदर्द बनता जा रहा है । इस आंदोलन के जन्मदाता पंचायत मंत्री देवेंद्र बबली का व्यवहार माना जा रहा है । वे यहां तक कहने लगे कि जो सरपंच विरोध करेंगे , उनको रिकाॅल करवा दूंगा और इनके आगे झुकूंगा नहीं । ये विकास के लिये जितने चाहे पैसे ले लें लेकिन इनके खाने के लिये पैसे नहीं दूंगा । इससे टकराव बढ़कर आंदोलन में बदलते देर नहीं लगी । अब नवनिर्वाचित सरपंच चेतावनी दे रहे हैं कि जब तक हमारी मागें नहीं मानी जायेंगीं तब तक काम नहीं होने देंगे । यह गांव बचाओ, देहात बचाओ आंदोलन दो दिन में ही अठारह जिलों में फैल गया है । ऊपर से भाजपा की 29 जनवरी की रैली का विरोध करने का आह्वान ! 
अब देवेंद्र बबली कह रहे हैं कि विपक्ष इनके कंधे पर बंदूक रख कर सरकार पर निशाना लगा रहा है । विपक्ष का काम ही है सरकार के काम में कोई न कोई स्पीड ब्रेकर लगाना ! अब बबली यह भी कह रहे हैं कि वे वार्ता के लिये तैयार हैं । यदि पहले ही थोड़ी व्यावहारिकता अपनाई होती तो यह नौबत न आती और न विपक्ष को मुद्दा मिलता ! अब तो नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा से लेकर इनेलो के अभय चौटाला ही नहीं बल्कि भाजपा के ही हिसार से सांसद बृजेंद्र सिंह कह रहे हैं कि वे इस मुद्दे पर नवनिर्वाचित पंचों सरपंचों के साथ हैं ! अब तो भाजपा के सांसद ही इस बात को स्वीकार कर रहे हैं कि दो लाख रुपये की ग्रांट के कोई मायने नहीं होते ! फिर विपक्ष पर दोष क्यों ? 
दूसरी ओर भारत जोड़ो यात्रा के दौरान पंजाब के होशियारपुर में मीडिया से बातचीत में राहुल गांधी ने कहे कि कांग्रेस  के एजेंडे में किसान टाॅप पर शामिल हैं । सत्ता में आने पर 
इनको रियायतें देंगे ताकि गांव देहात बच सकें । किसान आंदोलन के  समय भी विपक्ष पर ही सारा दोष मढ़कर भाजपा पल्ला झाड़ती रही लेकिन एक साल लम्बे आंदोलन के बाद आखिर तीन कृषि कानून वापिस लेने की घोषणा करनी पड़ी तो देवेंद्र बबली को इस आंदोलन को शुरू करने का अवसर नहीं देना चाहिए था । 
अब भी समय है । भाजपा जजपा सरकार को नवनिर्वाचित पंचों सरपंचों से बातचीत कर इसका कोई हल खोजना चाहिए न कि रिकाॅल की बात करनी चाहिए ! 
-*पूर्व उपाध्यक्ष, हरियाणा ग्रंथ अकादमी ।